मुजफ्फरपुर : कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण इस साल जिले में श्रावणी मेला नहीं लग सकेगा। इससे करोड़ों का कारोबार चौपट हो जाएगा। जिले में बाबा गरीबनाथ मंदिर के अलावा औराई प्रखंड के बाबा आनंद भैरवनाथ मंदिर, बन्दरा के बाबा खगेश्वरनाथ महादेव मंदिर, सरैया के कामेश्वरनाथ महादेव मंदिर व मुशहरी के दूधनाथ महादेव मंदिर में श्रावणी मेला लगता था। इन मंदिरों के अलावा अन्य मंदिरों को मिलाकर 25 से 30 लाख कांवरिया व स्थानीय श्रद्धालु भोलेनाथ का जलाभिषेक करते थे। इससे पूरे सावन भर कपड़ा, फूलमाला, प्रसाद, कांवर, ट्रांसपोर्ट समेत अन्य कारोबार 50 से 60 करोड़ का हुआ करता था।
इस बार भी कई व्यवसायियों ने श्रावणी मेले को लेकर तैयारी कर रखी थी। बेहतर कारोबार की आस लगाए बैठे कारोबारियों की उम्मीद पर मेला नहीं लगने से पानी फिर गया है। सूतापट्टी के कपड़ा व्यवसायी नवीन चाचान ने बताया कि पिछले साल का भी माल है और इस बार की भी तैयारी कर रखी थी। श्रावणी मेला नहीं लगने से खरीदार नहीं आ रहे हैं। वहीं, चैम्बर ऑफ कॉमर्स के मीडिया प्रभारी सज्जन शर्मा ने बताया कि अधिकतर व्यवसायियों ने माल मंगवा लिया था। मेला नहीं लगने से 20 से 25 करोड़ का कपड़े का कारोबार प्रभावित हो जाएगा। स्टेशन रोड के होटल संचालक राजेश कुमार ने बताया कि कांवरियों के हिसाब से खाना बनता था। इससे सावन भर 50 हजार से अधिक की कमाई होती थी।
फूलमाला आर प्रसाद का कारोबार प्रभावित : फूलमाला, चिउरा, मकुरदाना, पेड़ा, बधी का कारोबार भी प्रभावित हो जाएगा। कारोबारी कमलेश कुमार ने बताया कि बंगाल से चिउरा व खगड़ियां से पेड़ा मंगवाने के साथ स्थानीय तौर पर मकुरदाना व पेड़ा बनाकर बेचा करते थे। मेला नहीं लगने से लगभग दो करोड़ का कारोबार नहीं हो सकेगा। वहीं, फूल-माला कारोबारी विनोद कुमार ने बताया कि मंदिर बंद होने से फूलों के कारोबार पर असर पड़ा है।
एक करोड़ का ट्रांसपोर्ट का कारोबार प्रभावित : सावन में जलबोझी के लिए जाने को कांवरिया ट्रांसपोर्ट का अधिक इस्तेमाल किया करते थे। बिहार मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के अध्यक्ष उदय शंकर प्रसाद सिंह ने बताया कि पूरे बिहार में 20 से 25 करोड़ का ट्रांसपोर्ट का कारोबार प्रभावित हुआ है। जिले में एक करोड़ का कारोबार मेले पर रोक से चौपट हो गया है।
गरीबनाथ मंदिर में 15 लाख श्रद्धालु करते थे जलाभिषेक
गरीबनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए तांता लगता रहता था। प्रधान पुजारी पं. विनय पाठक बताते हैं कि सोमवारी पर रविवार रात से लगातार जलाभिषेक का शुरू सिलसिला सोमवार दोपहर बाद तक चलता था। पूरे सावन माह में 10 से 15 लाख कांवरिया व स्थानीय श्रद्धालु बाबा का जलाभिषेक किया करते थे।
Input : Hindustan