बिहार विधानसभा चुनाव में रिश्ते भी दांव पर हैं। विधायक बनने की रेस में परिवार से ही चुनौती मिल रही है। कहीं बहू ने सास के खिलाफ बगावत कर दी है, तो कहीं भाई-भाई की लड़ाई है। देवर के खिलाफ भाभी भी ताल ठोक रही हैं। देवरानी-जेठानी, चाचा-भतीजे और समधी तक एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। ऐसे में मुकाबले रोचक हो गए हैं। आइए डालते हैं नजर।
रामनगर (सुरक्षित) सीट से सास-बहू आमने-सामने हैं। भाजपा विधायक भागीरथी देवी रामनगर सीट का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। इस बार उनके सामने बड़े पुत्र राजेश कुमार की पत्नी रानी कुमारी प्रतिद्वंद्वी हैं।
रामनगर के मुरलीधर पांडेय, अजय पांडेय व मदन चौरसिया का कहना है कि भागीरथी देवी ने बीते दो चुनावों में रामनगर से एकतरफा जीत दर्ज की है, लेकिन इस बार उनकी बहू लोगों से भावनात्मक रूप से जुडऩे की कोशिश कर रही हैं। खुद को इलाके की बहू और बेटी, दोनों बताकर सहानुभूति वोट मांग रहीं। स्थानीय जानकार यह भी दावा करते हैं कि भागीरथी के विरोधियों ने ही रानी को चुनावी मोहरा बनाया है।
जनता-जनार्दन मालिक हवे… उहे फैसला करी…
सियासी मैदान में रानी, सास की तुलना में भले ही नई हों, लेकिन लंबे समय से उनकी राजनीति को देख-समझ रही हैं। इंटर पास रानी का कहना है कि एक-एक घर में जाएंगी और विकास के दावे और वादे की सच्चाई बताएंगी। इधर, भागीरथी देवी कहती हैं कि जनता-जनार्दन मालिक हवे, ओकरा से कुछ छुपल नइखे…, चुनऊवा में उहे फैसला कर दी। हमहू 20 साल से राजनीति में बानी। कहां से उठ के इहां तक आइल बानी, सभे जान ता…।
लौरिया में देवर को चुनौती दे रहीं भाभी
लौरिया विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी मुकाबला रोचक होनेवाला है। यहां देवर-भाभी एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोंक रहे। भोजपुरी गीतकार व पूर्व कला एवं संस्कृति विभाग के मंत्री विनय बिहारी यहां से दो बार विधायक रहे हैं। तीसरी बार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। इस बार उनकी सगी भाभी नीलम सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। वे आइआरएस अधिकारी विजय शंकर सिंह की पत्नी हैं। वर्ष 2000 में नीलम ने कांग्रेस की सदस्यता ली थी। संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर भी रहीं। वहीं, विनय बिहारी 2005 में सपा से पहली बार चुनाव लड़े और हार गए थे। वर्ष 2010 में पहली बार निर्दलीय विधायक बने।
नीलम का कहना है कि पिछले 28 वर्ष से लौरिया-योगापट्टी के विकास के लिए संघर्षरत हैं। जब उन्हेंं लगा कि जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण क्षेत्र का विकास नहीं हो रहा तो वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतर गईं। इधर, विनय बिहारी का कहना है कि लोकतंत्र में सबको चुनाव लडऩे का अधिकार है।
मतदाताओं के सामने धर्मसंकट
विनय बिहारी के परिवार की इलाके में प्रतिष्ठा है। पिता परमानंद सिंह शिक्षक थे। यह सम्मान वोट बैंक भी है। एक ही परिवार के दो सदस्यों के होने से मतदाताओं के सामने धर्मसंकट है। योगापट्टी प्रखंड के मच्छरगांवा के लोगों के लिए एक बेटा है तो दूसरी बहू। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां राजनीति की दो धारा बहती है। मतदाता भी दो गुटों में बंटे नजर आते हैं। इसका असर चुनाव में भी दिखेगा। ग्रामीण दीपू सिंह कहते हैं, जनता-जनार्दन को खामोश मत समझिए, अंदर बहुत कुछ है…।
जोकीहाट में भाई के खिलाफ भाई
सीमांचल की जोकीहाट सीट पर इस बार तस्लीमुद्दीन के दो लाल आमने-सामने हैं। इस सीट से पांच बार तस्लीमुद्दीन विधायक रहे हैं। इसी सीट से उनके मंझले पुत्र सरफराज आलम चार बार विधायक बने। विधायक रहते हुए उन्होंने तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद 2018 में अररिया लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में राजद के टिकट पर जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने जोकीहाट विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया। यहां हुए उपचुनाव में उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम राजद के टिकट पर जोकीहाट से विधायक बने। इसके बाद के 2019 में मुख्य लोकसभा चुनाव में सरफराज आलम हार गए और अपनी परंपरागत जोकीहाट सीट पर वापसी की तैयारी करने लगे। उन्हें राजद से टिकट मिल गया। टिकट के लिए दोनों भाई पटना में 15 दिनों तक जमे रहे थे, लेकिन तेजस्वी ने सरफराज को टिकट दिया। इसके बाद उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम ने अपने गांव में बैठक कर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। इसके बाद से वे टिकट के लिए लगातार एआइएमआइएम के संपर्क में थे। सोमवार रात को एआइएमआइएम से उन्हें सिंबल मिल गया। उन्होंने मंगलवार को नामांकन किया। अब दोनों भाई जनता को अपने पक्ष में करने के लिए भी लगे हुए हैं।
आरा में देवरानी-जेठानी और जेठ-भावज में मुकाबला
आरा जिले के शाहपुर में देवरानी-जेठानी आमने-सामने है, तो संदेश में जेठ को छोटे भाई की पत्नी (भावज) चुनौती दे रही हैं। शाहपुर से भाजपा की पूर्व विधायक मुन्नी देवी एनडीए प्रत्याशी हैं। इधर, टिकट नहीं मिलने से नाराज मुन्नी देवी के जेठ दिवंगत विश्वेश्वर ओझा की पत्नी निर्दलीय मैदान में कूद गई हैं। वहीं संदेश में जदयू के प्रत्याशी बिजेंद्र यादव हैं। उनसे मुकाबले में राजद ने उनके अनुज निवर्तमान विधायक अरुण कुमार यादव की पत्नी किरण देवी को उम्मीदवार बनाया है।
सिवान में आमने-सामने समधी
सिवान सदर की सीट से एनडीए ने अपने पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव को उम्मीदवार बनाया है। मुकाबले में उनके समधी अवध बिहारी चौधरी राजद से उम्मीदवार बनाए गए हैं। मालूम हो कि ओमप्रकाश के बेटे की शादी अवध बिहारी चौधरी की भतीजी से हुई है।
मढ़ौरा में चाचा से भतीजे की भिड़ंत
सारण जिले के मढ़ौरा विधानसभा सीट से पूर्व विधायक रामप्रवेश राय के पुत्र आनंद राय निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं उनके चाचा जयराम राय भी निर्दलीय ही मैदान में उतर चुके हैं। गौरतलब है कि एकमा से निवर्तमान विधायक धूमल सिंह की पत्नी सीता देवी जदयू की उम्मीदवार हैं। यहां से उनकी पुत्री लाडली सिंह ने भी नामांकन किया था हालांकि बाद में नाम वापस ले लिया। वहीं परसा में मैनेजर सिंह के खिलाफ उनकी पत्नी भी मैदान में उतर गई थीं लेकिन पत्नी ने नाम वापस ले लिया।
Source : Dainik Jagran