सीतामढी जिले के तीन युवाओं ने भारतीय सेना में अधिकारी (लेफ्टिनेंट) बन कर जिले का मान बढ़ाया है। इनमें अमन और मनीष सीतामढ़ी शहर से सटे शांतिनगर मोहल्ले के रहने वाले हैं। जबकि आर्यन कुमार यादव बैरगनिया के रहने वाले हैं। देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में आयोजित पासआउट में शनिवार को 459 कैडेट्स सेना के अफसर बने। इनमें 382 जांबाज अफसर भारतीय सेना का हिस्सा बनेंगे। जबकि शेष 77 मित्र राष्ट्रों के कैडेट्स ने भाग लिया।
पासआउट परेड में मुख्य अतिथि के रूप में दक्षिण पश्चिम कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल चेरिस मैथसन ने परेड की सलामी ली। जबकि लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुमार समेत आर्मी के अधिकारी, कैडेट्स और अभिभावक समेत दस लोग लोग मौजूद रहे। समारोह के दौरान माता-पिता ने लेफ्टिनेंट को बैच लगाया। इसके बाद कैडेटों ने कामयाबी का जश्न मनाया। शांतिनगर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रमण कुमार श्रीवास्तव के पुत्र अमन श्रीवास्तव ने मोबाइल पर बताया कि यह जिंदगी का यादगार लम्हा रहा। उसने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, शिक्षकों और नानी सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापिका स्व. पार्वती कुमारी को दिया।
बताया कि नानी का सपना लेफ्टिनेंट बनाने का था जो आज पूरा हो गया। अमन की प्रारंभिक शिक्षा सीतामढ़ी में ही हुई। आर्या प्रिपरेटरी स्कूल से उसने सैनिक स्कूल की तैयारी की। इसके बाद उसका चयन सैनिक स्कूल तिलैया के लिए हुआ। सैनिक स्कूल में पढ़ाई के दौरान उसने एनडीए में सफलता हासिल की। इसके बाद वह भारतीय सेना में ट्रेनिंग कर रहा था। उधर, कामयाबी का जश्न बैरगनिया निवासी आर्यन और शांतिनगर निवासी मनीष के घर में भी है। हालांकि, दोनों के माता-पिता देहरादून गए हैं।
लेफ्टिनेंट पद पर अभिषेक का हुआ चयन, गांव में हर्ष
इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट के पद पर आसीन हुए दो सहोदर भाई एक साथ करेंगे राष्ट्र की सुरक्षा। पताही थाना अंतर्गत पदुमकेर गांव निवासी राकेश झा के पुत्र अभिषेक रंजन को यह कामयाबी मिली है। छह माह के अंतराल पर दोनों भाईयों को यह सफलता मिली है। इधर, गांव में भी जश्न का माहौल है। अभिषेक की प्रारंभिक शिक्षा पदुमकेर गांव स्थित विद्यापति पब्लिक स्कूल से हुई थी।
प्रारंभिक शिक्षा के दौरान वर्ष 2012 में 9वें वर्ग के लिए सैनिक स्कूल चितौढग़ढ़ लिए परीक्षा दी। दो वर्षो तक वहां पढ़ाई करने के बाद 2015-18 में एनडीएम पूना में डिफेंस की तैयारी में लग गया। एक साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे यह सफलता मिली है। दोनों पुत्रों को मिली इस सफलता से माता-पिता बेहद खुश हैं। पिता राकेश झा ने कहा कि मेरे दोनों लाल ने चंपारण का नाम ऊंचा किया है।
Input : Dainik Jagran