गया. बिहार में सरकार शिक्षा का स्तर सुधारने के दावे कर रही है, वहीं एक सरकारी स्कूल (School) ऐसा भी है जो इन दावों की पोल खोल रहा है. यह सरकारी स्कूल गया मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर मनसा बिगहा में स्थित है. हालात यह है कि इस सरकारी स्कूल में सिर्फ एक बच्ची पढ़ने आती है, जिसका नाम जान्हवी है और वह पहली कक्षा की छात्रा है. वहीं उसे पढ़ाने के लिए हर दिन 2 शिक्षक विद्यालय पहुंचते हैं. एक छात्रा को पढ़ाने के लिए सरकारी शिक्षा विभाग प्रति माह 59 हजार रुपये का खर्च करता है. ऐसा नहीं है कि मनसा बिगहा में लोग कम रहते हैं या फिर स्कूली बच्चे नहीं हैं, लेकिन लोगों का विश्वास सरकारी शिक्षा व्यवस्‍था में नहीं है और लोग अपने बच्चों को आस-पास मौजूद निजी स्कूलों में भेजते हैं.

सभी सुविधाएं लेकिन बच्चे ही नहीं

स्कूल का दो मंजिला पक्का भवन है और परिसर के भीतर भी सुविधाएं अच्छी हैं. यहां कक्षाओं के लिए चार कमरे हैं, शौचालय, हैंडपंप, किचन शेड के साथ ही अतिरिक्त क्लास रूम भी हैं. बस यहां पर कमी है तो पढ़ने वाले छात्रों की. स्‍थानीय लोगों का कहना है कि बेहतर ‌शिक्षा के लिए वे अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में भेजते हैं. लेकिन अब शिक्षा विभाग स्कूल में बच्चों के दाखिले करवाने के लिए कैंपेनिंग शुरू करवा रहा है. इसके लिए घर घर जाकर बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने का आग्रह किया जाएगा. गया जिला शिक्षा अधिकारी मुस्तफा हुसैन ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से स्थानीय लोगों से मिलकर अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.

मीडिया को देखकर बुलाए दो और बच्चे

इस दौरान जब न्यूज 18 की टीम स्कूल पहुंचे तो शिक्षकों ने दो और बच्चे बुला कर पढ़ने के लिए बैठा दिए. लेकिन सच्चाई यह है कि जान्हवी ही एक मात्र छात्रा है जो यहां पर हर दिन पढ़ने आती है. हालात यह है कि इससे पहले तक स्कूल में एक ही टीचर था, लेकिन कुछ दिनों पहले ही एक अन्य शिक्षक को भी यहां पर नियुक्त किया गया है.

डॉक्टर बनना चाहती है जान्हवी

जान्हवी ने कहा कि वह डॉक्टर बनना चाहती है, लेकिन स्कूल में अकेले होने के चलते उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता. उसने बताया कि कभी-कभी दो अन्य छात्र भी पढ़ने आते हैं. उसने बताया कि मेरा यहां पर कोई दोस्त नहीं है, सभी बच्चे दूसरे स्कूलों में जाते हैं. वहीं स्कूल की रसोइया ने कहा कि एक साल से यहां पर मध्यान भोजन के लिए अनाज भी नहीं आ रहा है. जो अनाज बचा है उसी से मध्यान भोजन कभी कभी बन जाता है. क्‍योंकि एक ही बच्ची है तो वह भी अपने ही घर से खाना लेकर आती है.

Input : News18

 

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