बिहार के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ ही उनको मिलने वाले स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड (एससीसी) की देयता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने कई बदलाव किए हैं। अब क्रेडिट कार्ड के माध्यम से होने वाले पेमेंट के बाद रैंडम वेरिफिकेशन की तैयारी की जा रही है। इसके लिए बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम की ओर से राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी के चयन की तैयारी है। इसके लिए निविदा की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। एजेंसी चयनित हो जाने के उपरांत छात्रों को एससीसी के आधार पर मिलने वाले शिक्षा लोन के भुगतान की जांच हो सकेगी। यह जांच फौरी तौर पर कराई जाएगी। जिन संस्थानों को एससीसी के लिए रकम दी जाएगी, उनकी गतिविधियों और गुणवत्ता की परख एजेंसी की ओर से कभी भी की जाएगी।
थर्ड पार्टी से सख्त जांच की है पूर्व से व्यवस्था : वित्त निगम के अधिकारी ने बताया कि वैसे तो एससीसी की स्वीकृति के नियम पहले से ही इतने सख्त हैं कि घोटाले की आशंका न के बराबर है। उन्होंने बताया कि पैन इंडिया की ओर से थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन की जाती है। इस दौरान 24 बिंदुओं पर जांच की जाती है। कार्ड की स्वीकृति के बाद स्टूडेंट और अभिभावकों के साथ लीगल एग्रीमेंट होता है। फिर जिस कॉलेज और कोर्स के लिए लोन लिया जा रहा है, उसकी मान्यता व अन्य प्रमाणीकरण की जांच होती है। तब वर्षवार या सेमेस्टरवार पेमेंट सीधे कॉलेज के खाते में जाता है। प्रथम वर्ष के बाद अंकपत्र डाउनलोड करने के उपरांत अन्य प्रक्रिया पूरी करके ही दूसरे वर्ष के लिए धनराशि दी जाती है।
और सख्त हो रहे हैं नियम : राज्य से बाहर के कॉलेजों के लिए लोन (ऋण) देने के नियम और सख्त किए जा रहे हैं। मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद पांच जुलाई को इसके लिए बाकायदा संकल्प प्रकाशित हो चुका है। अब दूसरे राज्यों के उन्हीं कॉलेजों के विद्यार्थियों को ऋण दिए जाएंगे, जो नैक की ओर से ‘ए ग्रेड’ प्राप्त होंगे या फिर संस्थान के कार्यक्रम नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडेशन से संबद्ध हों और केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग की ओर से नेशनल रैंकिंग में शामिल हों।
अनियमितता सामने आने के बाद संस्थानों को चिह्न्ति कर रोकी किस्त
स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में घोटाले की बात सामने आने के बाद संबंधित संस्थानों को चिह्न्ति कर उनके भुगतान पर रोक लगा दी गई है। जांच में पाया गया कि ऐसे अनगिनत छात्र हैं, जो सरकार से ऋण लेकर दलालों के चंगुल में फंस गए। सरकार इन संस्थानों को पैसे का भुगतान करती रही। वैसे तमाम संस्थानों के छात्रों की फीस की अगली किस्त पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। शिक्षा विभाग के अपर सचिव गिरिवर दयाल सिंह के एक पत्र से इस तरह के फर्जीवाड़े की भनक लगी। उन्होंने मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह प्रबंध निदेशक, बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम लि., पटना को पत्र लिखा है। बिहार से हालांकि, तीन ही कॉलेजों के नाम अब तक सामने आए हैं, जबकि तमाम दूसरे प्रदेशों के संस्थान हैं। शिक्षा विभाग ने कहा है कि संबंधित संस्थानों के आवेदकों के आवेदन की स्वीकृति तथा वितरण को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखा जाए। जांच चल रही है और उसकी रिपोर्ट आने पर समीक्षा के बाद अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी।
Input : Dainik Jagran