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हिंदी और इंग्लिश सिखाने के लिए गूगल ने लॉन्च किया Bolo एप, बिना इंटरनेट भी चलेगा

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गूगल ने बुधवार को नया एप ‘बोलो’ लॉन्च किया है। यह एप प्राइमरी स्कूल के बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी पढ़ना सीखने में मदद करेगा। साथ ही बच्चों के उच्चारण संबंधी दोष भी ठीक करेगा। बोलो एप में गूगल के स्पीच रिकॉगनिशन और टेक्स्ट टू स्पीच टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। गूगल ने इस एप को सबसे पहले भारत में लॉन्च किया है। यह एप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।

गूगल के प्रोडक्ट मैनेजर नितिन कश्यप ने बताया, ‘बच्चों में पढ़ने की क्षमता में कमी आगे की शिक्षा को प्रभावित करती है और बच्चा अपनी क्षमताओं को पूरी तरह से जान नहीं पाता। बच्चों को कई बार गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की कमी, संसाधनों की कमी वाले इंफ्रास्ट्रक्चर और क्लास से बाहर सीखने में आने वाली कठिनाईयों का सामना भी करना पड़ता है।’

एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन की साल 2018 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए नितिन ने बताया कि भारत के ग्रामीण इलाकों में 5वीं क्लास के सिर्फ आधे स्टूडेंट ही दूसरी क्लास के स्तर की किताब अच्छे से पढ़ पाते हैं।
बोलो एप में बच्चों की सुरक्षा निश्चित करने के लिए कोई भी जानकारी किसी सर्वर पर स्टोर नहीं की जाती। एप का सारा डाटा इस्तेमाल करने वाले के डिवाइस पर ही स्टोर होता है। एप को यूज करने के लिए यूजर को इमेल आईडी या जेंडर जैसी जानकारी देने की भी जरूरत नहीं है।

उच्चारण सुधारने में मदद करेगी ‘दिया’

बोलो एप ऑफलाइन काम करता है। इसका मतलब यह कि एप को चलाने के लिए इंटरनेट ऑन करने की जरूरत नहीं होगी। यूजर को सिर्फ एक बार 50mb से भी कम साइज का एप डाउनलोड करना होगा।

एप में हिंदी और इंग्लिश भाषा में 100 से भी ज्यादा कहानियां है। जिसे पढ़ कर बच्चे अपनी रीडिंग स्किल बेहतर कर सकते हैं।

एप में एनीमेटेड कैरेक्टर ‘दिया’ बच्चों को कहानियों को जोर से पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इसके साथ ही अगर बच्चे किसी शब्द का उच्चारण ठीक से नहीं कर पा रहा है तो दिया उसमें भी बच्चे की मदद करेगी। पूरा कंटेट पढ़ लेने पर दिया बच्चे की तारीफ करके उसका उत्साह भी बढ़ाएगी।

गूगल ने उत्तर प्रदेश के 200 गांवों में बोलो एप का ट्रायल किया था। ट्रायल के शुरुआती तीन महीने में 64% बच्चों के पढ़ने की क्षमता में बढ़ोतरी देखी गई है।

गूगल अब कई गैर लाभकारी संस्थाओं के साथ काम कर रहा है, ताकि इस एप को देश में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जा सके। कंपनी एप में बंगाली, मराठी जैसी अन्य भारतीय भाषाएं भी जोड़ने की प्लानिंग कर रही है।

Input : Dainik Bhaskar

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