संवाद नहीं महज भाव। इस भाव में दर्द भी है और बंदिशों से निकलने की छटपटाहट भी। लड़की होने की पीड़ा घर से बाहर तक आज भी कैसे झेलनी होती है, इसे अपने मूक मगर भावप्रण अभिनय से जीवंत किया है शहर की बेटी अंबिका ने।
अंबिका राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी है। वह कम उम्र में ही माइम एक्टिंग में महारत हासिल कर चुकी है। अंबिका का नाटक बेटियों की सुरक्षा और उनके हक के विभिन्न रंगों को लेकर अपनी विशेष पहचान बना चुका है। वह पढ़ाई के साथ-साथ थिएटर भी कर रही है। अंबिका देश में अकेली लड़की है जिसे कला मंत्रालय की ओर से यंग आर्टिस्ट का अवार्ड मिला और दो साल की फेलोशिप भी।
इस फेलोशिप के लिए देश भर से पांच लोगों को चुना गया। इसमें अंबिका एकमात्र लड़की है।इंटरनेशनल माइम फेस्टिवल में बालिकागृह कांड पर किया था नाटक: अहियापुर निवासी शिक्षक कामेश्वर चौधरी और गीता देवी की इस होनहार बेटी को बचपन से ही अभिनय का शौक था। स्नातक-पार्ट 2 की छात्रा अंबिका कहती है कि इंटर के बाद थिएटर से जुड़ी।
पिछले दो साल में विभिन्न जगहों पर दो दर्जन से अधिक प्ले किए। अधिकांश प्ले बेटियों की सुरक्षा और उनके हक को लेकर होते हैं। इंटरनेशनल माइम फेस्टिवल पद्मश्री निरंजन चौधरी की ओर से आयोजित था। इसमें हमने शहर के बालिका गृह कांड को माइम प्ले में दिखाया। 17 मिनट के इस प्ले में अंबिका के मूक अभिनय ने सभी को अचंभित कर दिया।
इसी प्ले के आधार पर उसका चयन फेलोशिप के लिए किया गया। इसी प्ले को नेशनल फेस्टिवल में भी 30 मिनट दिखाया गया। अंबिका कहती है कि जयपुर, कोलकाता समेत विभिन्न जगहों पर प्ले में कई अवार्ड मिले। मेरी तमन्ना इस क्षेत्र में विश्व में अपने जिले का नाम पहुंचना है और अन्य लड़कियों को इस क्षेत्र से जोड़ना है।
Input : Live Hindustan