महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह आंदोलन के दौरान जिस लंगट सिंह महाविद्यालय में कदम रखा, वहां खादी वस्त्र अब ड्रेस कोड में शामिल होगा। जल्द ही छात्र, शिक्षक व कर्मचारी खादी वस्त्र धारण करेंगे। मकसद है कि गांधी को इस कैंपस के कण-कण में शिद्दत से महसूस किया जाए। शनिवार को प्राचार्य प्रो. ओमप्रकाश राय की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसपर विचार-विमर्श हुआ। प्राचार्य ने कहा कि खादी वस्त्र ही नहीं, विचार भी है। इसे धारण करने से हमारी भावना गांधी-विचार से ओतप्रोत होगी। खादी पहनने में भी आरामदायक व त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। गौरतलब है कि इसी कॉलेज कैंपस में गांधी कूप बापू की याद दिलाता है। 11 अप्रैल, 1917 की सुबह जब गांधीजी इस कैंपस में कदम रखे थे, तब उन्होंने आर्ट्स ब्लॉक के समीप बने कूप पर स्नान किया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस कूप पर स्नान करते बापू की प्रतिमा का पिछले वर्ष ही अनावरण किया। इस कूप को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने व गांधी स्मृति संग्रहालय के रूप में विकसित करने की मांग होती रही है।

खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन : प्राचार्य के साथ बैठक में डॉ. एसके मुकुल, डॉ. एसआर चतुर्वेदी, डॉ. वीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ. अवधेश कुमार, डॉ. पंकज कुमार, डॉ. राजीव कुमार, डॉ. ललित किशोर मौजूद थे। शिक्षकों ने खादी से जुड़ने का संकल्प लिया। डॉ. अवधेश कुमार व डॉ. एसआर चतुर्वेदी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में खादी का बहुत महत्व रहा है। गांधीजी ने गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खादी के प्रचार-प्रसार पर बहुत जोर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समारोह में खादी को बढ़ावा देने के लिए नारा दिया था-‘खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन।’ खादी वस्त्र की मांग और उत्पादन बढ़ने से बेरोजगारी भी दूर होगी।

Input : Dainik Jagran

 

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