बिहार के उप-मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के चुनावी हलफनामे में गड़बड़ी सामने आई है। साल 2005 के एफिडेविट के मुताबिक, उनकी उम्र तब 48 साल थी। पर पांच साल बाद उनकी उम्र में महज एक साल का ही इजाफा हुआ। वह 2010 के चुनावी हलफनामे में बताया गया कि वह 49 साल के हैं।
ऐसे ही पांच साल बाद यानी कि 2015 के पर्चे में उनकी उम्र 52 साल दर्शाई गई। मतलब इस बार भी साल के हिसाब से ऐज गैप में हुए इजाफे से जुड़ी चूक थी। ऐसा इसलिए, क्योंकि हलफनामे के अनुसार उनकी उम्र में केवल तीन साल ही और बढ़े।

https://twitter.com/UtkarshSingh_/status/1329982177509920768?s=19

फिर 2020 यानी कि हालिया विधानसभा चुनाव में उन्हें 64 साल का बताया गया। यानी पांच साल में उनकी उम्र के आंकड़े में 12 साल अधिक बताए गए। यह चूक कैसे हुई? फिलहाल इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं है। न ही इस मसले पर प्रसाद की कोई प्रतिक्रिया आई है।

शनिवार को माइक्रो ब्लॉगिंग साइट टि्वटर पर लोगों ने उनके चार हलफनामे शेयर किए। साथ ही उनकी आयु में आए निर्धारित समय में अजब-गजब इजाफे पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दीं।

@roushan4111 ने कहा- सब के सब चोर हैं। एक भी सही नहीं है। न पढ़े लिखे हैं। न क्रिमिनिल बैकग्राउंड क्लियर है। न जनता की भावनाओं की फिक्र है। सब के सब ‘स्कैमस्टर’ (घोटालेबाज) हैं।

@Jamun_e_Gulab नामक हैंडल से कहा गया, “चुनता कौन है, जनता ही न? तो फिर जनता भी इसी लायक है, यहां की।”

@belal_alld ने चुटकी लेते हुए पूछा, “मुझे भी ये जादू सीखना है कि उम्र बढ़ जाए और किसी को पता भी ना चले।” @imrowdyzzz ने इसी पर जवाब दिया- एनडीए के नेताओं से संपर्क करें जनाब।

हालांकि, कुछ टि्वटर यूजर्स ने पत्रकार द्वारा शेयर किए गए तारकिशोर के चारों हलफनामे वाला ट्वीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए रीट्वीट किया

उधर, RJD ने ट्वीट किया, “बिहार के उपमुख्यमंत्री अपनी उम्र में ही घोटाला और कमीशन के लिए ठेकेदारों को धमकाने और अपने सभी पारिवारिक सदस्यों को ठेकेदार बनाने में भी लिप्त है। पूरा कटिहार जानता है बिना कमीशन के ये क्षेत्र में कोई काम नहीं करते। अब इनके कारनामों से संपूर्ण बिहार परिचित होगा।”

कौन हैं तारकिशोर प्रसाद?: प्रसाद इस बार सीएम नीतीश कुमार के करीबी सुशील कुमार मोदी की जगह ली है। वह डिप्टी सीएम बने हैं। तारकिशोर कलवार जाति से ताल्लुक रखते हैं, को वैश्य समुदाय का ही हिस्सा है। सुशील कुमार मोदी के नजदीकी हैं और कटिहार सीट से जीतते (2005, 2010, 2015, and 2020) आए हैं। वह Akhil Bhartiya Vidyarthi Parishad (ABVP) का भी हिस्सा रहे हैं, जिसकी विचारधारा RSS और BJP से खासा प्रभावित है। BJP ज्वॉइन करने से पहले वह विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों पर अहम भूमिकाएं निभा चुके हैं।

Input: Jansatta

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