आप कहते रहिए कि शहर का विकास नहीं हो रहा है। यहां तो पूरी लड़ाई ही ‘विकास’ की है। नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति की बैठक से उठे तुफान के बाद नगर विकास मंत्री, मेयर और पार्षदों का एक खेमा एक-दूसरे पर जमकर बरस रहे हैं। आन्दोलन से लेकर कोर्ट तक जाने की बात कर रहे हैं। सबने बस यही कहा, ‘वह’ विकास विरोधी है, मैं तो शहर के विकास के लिए ही लड़ रहा हूं। विश्वास न हो तो इनकी सुन लीजिए। नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा कि जनता की अपेक्षाओं पर निगम खरा नहीं उतर रहा है। मेयर लगातार असहयोग कर रहे हैं। मैं पूरे मामले को गंभीरता से ले रहा हूं। जल्द ही समीक्षा करूंगा। वहीं, मेयर सुरेश कुमार ने कहा, कुर्सी जनता ने दी है। जनता की सेवा करनी ही होगी। कुछ लोग काम नहीं करने देना चाहते हैं। लेकिन, विकास प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। उधर, मेयर विरोधी आन्दोलन की कमान संभाल रहे वार्ड पार्षद राकेश कुमार सिन्हा पप्पू ने कहा कि शहर को अब भी विकास की जरूरत है। मेयर इसमें बाधा पहुंचा रहे हैं। बड़ी संख्या में पार्षद मेयर के खिलाफ आन्दोलन करेंगे। ठंड खत्म होते ही धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया जाएगा। एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चाबंदी तेज हो गई है। बुधवार को चूड़ा-दही के बाद लोग दफ्तर भी पहुंचे। फिर दिनभर यही चलता रहा।

अधिकारियों ने साधी चुप्पी फाइलें अटकीं

पूरे मामले पर नगर आयुक्त सहित कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। लेकिन, कर्मचारियों ने बताया कि इन लोगों के बीच चल रही जंग के कारण फिलहाल विकास का कोई काम संभव होता नहीं दिख रहा है। फाइलें अटकी पड़ी हैं। स्मार्ट सिटी का काम तो जहां का तहां पड़ा है। कई पार्षद किसी के पक्ष में खुलकर नहीं आना चाहते हैं। वहीं, पार्षदों का कहना था कि जनता के सवालों का जवाब देना मुश्किल हो रहा है। किसी तरह से साफ-सफाई जैसा रूटीन का काम हो रहा है। किसी वार्ड में कोई खास काम नहीं हो पा रहा है।

Input : Live Hindustan

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