सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को रामजन्मभूमि न्यास को सौंप दिया. इसके बाद अब यहां रामलला रसोई की शुरुआत होने जा रही है. इसके लिए बिहार राज्य के कैमूर जिले के प्रसिद्ध गोविंद भोग और कतरनी चावल से भोग बनेगा. भगवान राम के प्रसाद अलावा राम भक्तों के लिए भोजन भी इसी चावल से बनेगा.

बिहार के प्रसिद्ध महावीर मंदिर न्यास के मुखिया आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि अयोध्या में राम रसोई की शुरुआत होने वाली है. इसके लिए 60 क्विंटल गोविंद भोग और कतरनी चावल यहां से अयोध्या भेजा गया है. उन्होंने कहा कि चावल कैमूर के मोकरी गांव से मंगवाया गया है. अयोध्या में भगवान राम की रसोई और भोग की सेवा अब लगातार चलती रहेगी. इसके लिए अयोध्या के मुख्य पुजारी से बात हो चुकी है.

मुख्य पुजारी ने बताया कि बिहार के सीतामढ़ी में पहले ही सीता रसोई चल रही है. दिन में यहां 500 लोग भोजन करते हैं और रात में 200 लोगों को मुफ्त भोजन कराया जाता है. ऐसे ही अयोध्या में भी राम रसोई की शुरूआत होगी. शुरुआती दौर में यहां प्रतिदिन एक हजार लोगों के भोजन कराने की व्यवस्था की जाएगी. जैसे-जैसे राम भक्तों की संख्या बढ़ती जाएगी, उसके आधार पर ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाएगी.

पुजारी ने बताया कि राम रसोई में प्रसाद बनाने के लिए तिरुपति के विशेषज्ञ कारीगर रखे जाएंगे. पटना के महावीर मंदिर में भी तिरुपति के ही कारीगर प्रसाद वाला खास लड्डू बनाते हैं. कैमूर के मोकरी गांव में मुंडेश्वरी माता के मंदिर के समीप के गांवों का ही चावल राम रसोई के लिए भेजा गया है.

यहां मान्यता है कि पहाड़ पर स्थित माता मुंडेश्वरी के मंदिर से हर साल बारिश का पानी मोकरी गांव के खेतों में गिरता है. इस पानी से पूरे गांव के खेत सिंचित होते हैं. मोकरी में पैदा होने वाला माता के प्रभाव के कारण ज्यादा खुशबूदार होता है.

Input : Catch News

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