वार्ड के पूरी तरह बंद रहने के साथ उसमें मरीज और परिजनों की चीख-पुकार। चारों ओर कोरोना मरीजों के बीच लगातार डबल मास्क लगाकर दम घोंटू स्थिति है। कोई किसी को देखने वाला नहीं। कोई लंबी-लंबी सांस लेते हुए मौत से जूझ रहा तो कोई अन्य तकलीफ से कराह रहा है। बगल में असहाय स्थिति में बैठे उनके परिजन। कुछ भी नहीं करने की स्थिति में है। मरीज काे शहर के एक प्रसिद्ध नर्सिंग होम में भर्ती कराने शुक्रवार की शाम 4 बजे पहुंचे।
वहां कोरोना जांच के बाद ही मरीज के भर्ती होने की बात कही गई। जांच के बाद मरीज को पॉजिटिव बताते हुए काेराेना अस्पताल ले जाने की बात कही गई। वहां से 7 किमी दूर एसकेएमसीएच तक जाने के लिए एंबुलेंस चालक ने 4000 रुपए लिए। काफी मशक्कत के बाद रात 9 बजे मरीज को एसकेएमसीएच में भर्ती कराया जा सका। कोरोना से संबंधित किसी प्रकार का कोई लक्षण नहीं होने पर भी कोरोना मरीजों के बीच रातभर जागकर रहना। मरीज की तीमारदारी करते हुए रात पहाड़ जैसे लग रही थी। बाकी लोग वार्ड के बाहर एक मंदिर में भगवान की आराधना करते रहे। परेशानियों से जूझते हुए किसी प्रकार रात गुजरी। वार्ड में मरीज व अटेंडेंट के लिए शुद्ध पानी, साफ शौचालय समेत सुविधाएं न के बराबर हैं।
वार्ड में एक पल भी बिताना मुश्किल था। इस बीच कोई मरीज बेड पर तो कोई कोरोना वार्ड के गेट पर, तो कोई भर्ती होने से पहले स्ट्रेचर पर ही दम तोड़ता रहा। शनिवार शाम 4 बजे एक मरीज ने शौचालय जाने की बात कह उठने की कोशिश की। इस क्रम में हाथ में लगा पानी और दवा चढ़ाने वाली सिरिंज निकलने से तेजी से खून बहने लगा। इसकी जानकारी देने पर तैनात सिस्टर आने के बदले थोड़ा सा रुई देकर जख्म को दबाकर रखने की सलाह दी। पूरा बिस्तर खून से लथपथ हो गया। इलाज की बात तो दूर कोई मरीज को देखने तक को तैयार नहीं। वार्ड में बेहोशी की स्थिति में पड़े किसी मरीज के माथे पर तो किसी के बेड पर ऑक्सीजन चढ़ता रहा। अंततः शाम 8 बजे वहां से नाम कटा कर कोरोना वार्ड से मरीज को निकालने का निर्णय लिया। अब होम आइसोलेशन में इलाज चल रहा है।
ऐसी कोई सूचना उन्हें नहीं मिली है। एसकेएमसीएच में आने के बाद सभी मरीजाें का इलाज हो रहा है। पूरे मामले की तहकीकात कराई जाएगी।
-डॉ. बाबू साहेब झा, अधीक्षक, एसकेएमसीएच