लोकआस्‍था का महापर्व छठ के रंग से पूरे बिहार में बहार है। सुदूर गांवों से लेकर राजधानी तक छठ पर्व की रौनक से अमीर-गरीब हर वर्ग का जीवन रोशन हो रहा है। लोग पूरी श्रद्धा, भक्ति,आस्‍था और उमंग से पर्व को मना रहे हैं। कोरोना के कारण सुस्‍त पड़े जीवन और बाजार फिर से खिल उठे हैं।   घरों   से  लेकर  घाट  तक  छठी   मईया   के सुरीले लोकगीतों  गूंज  रहे हैं।   हालांकि प्रशासन  ने  कोरोना  काल में मनाए जानेवाले छठ पर्व के लिए गाइडलाइन जारी किए हैं। इसके पालन के लिए भी प्रशासन मुस्‍तैद है।

अच्‍छी बात यह है कि लोग स्‍वयं भी कोरोना से  बचाव  के साथ पर्व को उल्‍लास से मना रहे हैं। बड़ी संख्‍या में लोगों ने घरों में ही भगवान भास्‍कर को अर्घ देने की तैयारी की है तो प्रशासन की ओर से भी राजधानी के 84 घाटों पर एहतियात के साथ सूर्य उपासना की तैयारी की गई है। घाटों पर  साफ-सफाई से लेकर आकर्षक रोशनी की व्‍यवस्‍था की गई है।

पूरी राजधानी में  स्‍वच्‍छता का विशेष ध्‍यान रखा गया है। दरअसल, लोक आस्‍था का यह पर्व इसलिए तो अनूठा है कि इसमें प्रकृति की पूजा, प्राकृतिक चीजों के व्‍यापक प्रयोग की कुशलता, शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य की सीख, स्‍वच्‍छता, संस्‍कृति , भाईचारा और आस्‍था का बेजोड़ मेल है।  आज शुक्रवार (20 नवंबर) को छठ व्रती डूबते सूर्य को अर्घ देंगे।  कल शनिवार को उगते सूर्य को अर्घ देकर पूजा संपन्‍न होगी । इसके पहले श्रद्धालुओं ने बुधवार को नहाय-खाय और गुरुवार को खरना पूजा किया।

Input: Dainik Jagran

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