बिहार के विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2020) के ऐलान से डेढ़ साल पहले जनता दल यूनाइटेड (JDU) के उपाध्यक्ष रहे प्रशांत कुमार (Prashant Kumar) ने ‘बिहार की बात’ (Bihar Ki Baat) की थी. माना जा रहा था कि इस बार के चुनाव में प्रशांत बैकडोर की जगह फ्रंट पर आकर इलेक्शन लड़ेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दिलचस्प यह भी है कि वह इलेक्शन तो लड़ नहीं रहे साथ ही बिल्कुल खामोश बैठे हुए हैं. एक ओर जहां चुनाव को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर नेता और दल अलग-अलग दावे और वादों के जरिए जनता के बीच जा रहे हैं तो वहीं प्रशांत भूषण ने इन चुनावों पर कोई ट्वीट तक नहीं किया. उनका आखिरी ट्वीट जुलाई में कोरोना के संबंध में था.

दूसरी ओर पटना के राजनीतिक गलियारों में खबरे हैं कि प्रशांत किशोर रालोसपा समेत अन्य छोटे दलों से बात कर महागठबंधन में अपना भविष्य तलाश कर रहे हैं. वहीं जनता दल यूनाइटेड का मानना है कि लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन छोड़ने के पीछे प्रशांत वजह हैं.

चिराग पासवान को प्रशांत ने समझाया!

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार किशोर ने लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को समझाया कि यह राज्य का आखिरी विधानसभा चुनाव है, जिसके बाद पुराने समाजवादी नेताओं की पीढ़ी नेपथ्य में चले जाएंगे और ऐसे में उन्हें बड़ा रिस्क लेना चाहिए. वहीं लोजपा के प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने इन दावों को बेकार का बताते हुए खारिज कर दिया.

प्रशांत के बारे में कुछ लोगों का कहना है कि उनकी सफलता जीतने वाले को चुनना है. यूपी चुनाव में सपा और कांग्रेस की हार में वह भी असफल हुए. वहीं कइयों का मानना है कि प्रशांत को खारिज ना करते हुए साल 2025 का इंतजार करना चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत के एक करीबी ने कहा कि ‘कोरोना की वजह से जमीनी स्तर पर नहीं उतरे, लेकिन डिजिटली बिहार की बात सबसे बड़ा पॉलिटिकल पेज है जहां 20 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स हैं.’

Source : News18

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