बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा मैट्रिक एवं इंटर में फेल बच्चों की परीक्षा लिए बिना ही उत्तीर्ण कर देने की घोषणा के बाद अब बिहार राज्य सेवापूर्व प्रशिक्षु शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ऋषिकेश राज ने बताया कि यदि कोरोना महामारी काल में छात्रों के भविष्य की चिंता करते हुए सरकार अनुत्तीर्ण छात्रों को भी उत्तीर्ण कर सकती है तो फिर डीएलएड सत्र 2018-20 के प्रशिक्षुओं की चिंता क्यों नहीं हो रही है।

जबकि प्रशिक्षुओं के प्रथम वर्ष की परीक्षा भी बिहार बोर्ड के द्वारा ली जा चुकी है एवं द्वितीय वर्ष की परीक्षा में कुल 1000 अंकों में से 645 अंकों की परीक्षा उनके महाविद्यालयों में ही आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर तय होनी है। और आंतरिक मूल्यांकन की रिपोर्ट तो सरकार इस कोरोना काल में भी महाविद्यालयों से मंगवा कर उसी के आधार पे फाइनल रिजल्ट घोषित की जा सकती है।

इसकी मांग प्रशिक्षुओं द्वारा निरंतर की जा रही है एवं हजारों की संख्या में सरकार, बिहार बोर्ड और अन्य जगहों पर ई-मेल के माध्यम से अपनी बात रख चुके हैं। सभी प्रशिक्षुओं के द्वारा हाल के दिनों में अफने अपने घरों पर ही सांकेतिक धरना का भी किया जा चुका है। प्रशिक्षु अपनी भविष्य को लेकर चिंतित इसलिए हो रहे हैं क्योंकि समय से यदि डिग्री नहीं मिलने से आगे की पढाई खतरे में पड़ चुकी है।

अधिकांश विश्वविद्यालयों में नामांकन जारी है, जिससे ये लोग वंचित हो रहे हैं। यह प्रशिक्षुओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। अंत में प्रदेश अध्यक्ष ऋषिकेश राज ने बताया कि हमारी बात इस संबंध में दो बार बिहार के माननीय शिक्षा मंत्री से भी फोन पर बात हुई है, परंतु आश्वासन के अलावे अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं हो पायी है।

यदि हमलोगों के भविष्य के बारे में सरकार नहीं सोचेगी तो अगले सप्ताह पुरे बिहार के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रशिक्षुओं के द्वारा एक दिवसीय धरना का आयोजन किया जाएगा।

सवाल उठता है कि आखिर सरकार समय पर परीक्षा लेकर छात्रों के साथ इंसाफ क्यों नही कर रही।

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