नई दिल्ली. देश में 68 दिन के लॉकडाउन के बाद रेलवे 200 यात्री ट्रेनें 1 जून यानी सोमवार से शुरू कर रहा है। इन ट्रेनों में बिना रिजर्वेशन कोई नहीं बैठ सकेगा। रिजर्व बोगियों में केवल कन्फर्म टिकिट वाले यात्री ही बैठ सकेंगे। वेटिंग टिकिट वालों की एंट्री नहीं हो सकेगी। जनरल बोगियों में भी सीटों की संख्या से ज्यादा लोगों को चढ़ने नहीं दिया जाएगा। यह बात रेल और वाणिज्य उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को दैनिक भास्कर से चर्चा करते हुए कही। पेश है उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंश…

सवाल: ट्रेनों की सामान्य स्थिति कब तक बहाल होगी? 
जैसे-जैसे डिमांड बढ़ेगी, ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाएगी और हम सामान्य स्थिति की ओर लौटेंगे। अभी भी जो 200 ट्रेन हम चला रहे हैं, वह पूरी तरह फुल नहीं हुई हैं। लोग जरूरी होने पर ही यात्रा कर रहे हैं। बाद में निजी ट्रेनें भी चलाएंगे।

सवाल: 15 जोड़ी राजधानी ट्रेन शुरू की गई हैं, उनमें डायनामिक फेयर लिया जा रहा है, ऐसा क्यों?
अधिकांश ट्रेन अभी भी फुल नहीं जा रही हैं। पुराने सिस्टम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। सिर्फ केटरिंग का चार्ज कम किया है। सब कुछ जाे पहले था उसी को बरकरार रखा है।

सवाल: रेलवे सिर्फ कंफर्म टिकट के आइडिया पर जाएगा?
आपका सुझाव सोचने लायक है, अभी हमने इस दिशा में सोचा नहीं है। अभी हम श्रमिकों की सेवा में लगे हैं। देश के कोने-कोने तक सामान और श्रमिक पहुंचें यहीं प्राथमिकता है।

सवाल: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर केरल, प. बंगाल और महाराष्ट्र ने भेदभाव के आरोप लगाए हैं, क्या कहेंगे?
मैं दावे से कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में किसी भी मंत्री ने, किसी भी राज्य सरकार के साथ कोई भी भेदभाव नहीं किया है। अभी तक राज्यों ने जितनी भी ट्रेन मांगी, हमने दी हैं। बल्कि समस्या उल्टी है। 250 ट्रेन ऐसी रहीं, जो राज्य सरकारों ने मांगी और फिर चल नहीं पाईं।

महाराष्ट्र का आपने जिक्र किया तो मैं बता दूं कि 109 ट्रेनों को राज्य सरकार की रिक्वेस्ट पर हमने तैयार किया और फिर भी वो ट्रेन चला ही नहीं पाए। पश्चिम बंगाल तो ट्रेन लाने ही नहीं दे रहा था। यहां तक कि उसने श्रमिक ट्रेन को कोरोना एक्सप्रेस तक कह दिया। राज्य जितनी श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन मांगेंगे, हम देते रहेंगे। हम श्रमिकों की सेवा कर रहे हैं।

आज से चलने वाली 200 ट्रेनों में….

सवाल: सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में काउंटर बुकिंग का भविष्य क्या होगा?
पहले हमने काउंटर बुकिंग शुरू नहीं की थी, आईआरसीटीसी की वेबसाइट से ही बुकिंग की सुविधा थी। फिर कई राज्यों की रिक्वेस्ट मिली कि हमारे यहां कई लोग जाना चाहते हैं और उनको इंटरनेट चलाना नहीं आता है। हमने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए काउंटर शुरू किए। ये काउंटर वहां शुरू नहीं किए जहां से श्रमिक स्पेशल ट्रेन चल रही थीं, उससे कुछ दूरी पर शुरू किए। रेलवे धीरे-धीरे सभी काउंटर खोलेगा। काउंटर कम नहीं करेंगे।

सवाल: लॉकडाउन के दौरान मालगाड़ियों से कितना गुड्स भारत वर्ष में पहुंचाया?
लॉकडाउन के दौरान 24 मार्च से 25 मई तक दो महीने में 16 करोड़ टन माल का परिवहन किया है। देश के कोने-कोने में एक भी दिन अनाज, खाद और कोयला आदि की कमी नहीं रही। देश के कोने-कोने में हम ये सामान पहुंचाते रहे। अगर अनाज देखें तो वो इस दौरान दोगुना हो गया। दूध, कोयला, लोहा, आयात-निर्यात आदि सामान की ढुलाई इस दौरान हमने की है।

सवाल: रेलवे की इस साल कमाई का लक्ष्य क्या है? 
यह एक समस्या है। हम वित्त मंत्रालय से चर्चा कर आगे का रास्ता खोजेंगे। फिलहाल हमारी प्राथमिकता समय पर सबको सामान मिले और श्रमिक अपने घर पहुंचे, यही है। रेलवे के वेतन में करीब 90 हजार करोड़ और पेंशन में 50 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष खर्च होते हैं। यह पिछले पांच वर्ष में लगभग डबल हो गया है।

सवाल: 20 लाख करोड़ रु. के पैकेज का फायदा एक्सपोर्टर कैसे ले सकते हैं?
एमएसएमई सेक्टर हमारे एक्सपोर्ट को बहुत योगदान देता है। उन्हें सात-साढ़े सात फीसदी ब्याज दर पर 20% अतिरिक्त लोन मिल पाएगा। निर्यातकों, उनकी एसोसिएशन, प्रमोशन काउंसिल आदि से लागातार मेरी बैठक होती है। आज ही फार्मास्युटिकल वालों से चर्चा की है। हमारी सोच है कि विभिन्न इंडस्ट्री से बात कर उनकी समस्या का समाधान संवेदना के साथ करें। अप्रैल में एक्सपोर्ट बीते वर्ष की तुलना में 60% गिरा था, मई में यह 35% कम था, जून के आंकड़ों में और सुधार देखने को मिलेगा। धीरे-धीरे वापसी होगी। सोमवार एक जून से फिर एक्टिविटी बढ़ेगी, उससे और अधिक कारोबार बढ़ेगा।

सवाल: श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों से कितनों को गंतव्य तक पहुंचाया गया है?
मैं दिन में तीन बार श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन की स्थिति की समीक्षा करता हूं। 30 मई तक देश में 4,040 श्रमिक एक्सप्रेस के माध्यम से करीब 54 लाख से अधिक श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचा गया है। ट्रेनों के भटकने या सात या नौ दिन में पहुंचने की बात बेबुनियाद है। सिर्फ 71 ट्रेन यानी 1.75% ट्रेन डायवर्ट हुईं। वह भी राज्यों के कहने, अधिक संख्या में एक ही स्टेशन पर ट्रेन के पहुंचने जैसे कारणों से हुई। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु, भूख या प्यास के कारण नहीं हुई है। रेलवे ने 1.19 लाख खाना और 1.5 करोड़ बोतल पानी श्रमिकों के बीच दिया।

सवाल: लॉकडाउन के समय बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र में नौकरियां जा रही है? इस वर्ष रेलवे कितनी भर्ती करेगा?
अभी हमारी भर्ती की प्रक्रिया डायनामिक है। अभी टेस्ट, ट्रेनिंग आदि चल रहा है। लोग रिटायर होते हैं, वैसे ही भर्ती करेंगे। अभी रेलवे में कोई शॉर्टेज नहीं है। 1.5 लाख लोगों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है।

Input : Dainik Bhaskar

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