ऐसा कहा जाता है कि विजया एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी विजय प्राप्त कर सकता है। इस व्रत के बारे में पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में भी बताया गया है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से बड़े से बड़े शत्रु से विजय पाई जा सकती है। विजया एकादशी पर रात भर भगवान विष्णु का जागरण करना चाहिए।

विजया एकादशी पर जल और अन्न नहीं लिया जाता। विष परिस्थियों में फल खा सकते हैं और अगर नहीं रह सकते तो जल भी पी सकते हैं। एकादशी के दिन न चावल बनाए जाते हैं और न ही खाए जाते हैं। इस दिन किसी भी गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन करवाएं।

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 18 फरवरी दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर हो रहा है, जो 19 फरवरी दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। एकादशी व्रत बुधवार को रखा जाएगा और पारण अगले दिन सुबह होगा। विजया एकादशी व्रत के पारण का समय गुरुवार को सुबह 06 बजकर 56 मिनट से 09 बजकर 11 मिनट तक है।

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