ए’ईएस के इ’लाज के लिए एसकेएमसीएच परिसर में निर्माणाधीन 100 बेड की शिशु गहन चि’कित्सा इकाई (पीआईसीयू) इस वर्ष अप्रैल के अंत तक बनकर तैयार हाे जाएगी।

डीएम अलोक रंजन घाेष ने इसके निर्माण कार्य की रफ्तार तेज करने के लिए कहा है। ताकि, तय समय पर यह बन जाए और इस वर्ष एईएस-चमकी बुखार से बच्चाें की जान बचाई जा सके। उन्हाेंने गुरुवार काे उक्त निर्माणाधीन पीआईसीयू का स्थल निरीक्षण कर संबंधित अधिकारी-स्वास्थ्यकर्मियाें से कहा कि वे अभी से विभाग की ओर  से जारी गाइडलाइन काे अमलीजामा पहनाने में जुट जाएं। संबंधित इलाकाें में लगातार जागरूकता अभियान चलाएं। पीआईसीयू के निरीक्षण के बाद डीएम ने बताया कि 28 जनवरी को राज्यस्तरीय टीम ने जिले में एईएस से बचाव व तैयारियों के साथ चल रही गतिविधियों की जानकारी ली। जिले में इसे लेकर कई जरूरी गतिविधियां प्रारंभ हाे चुकी हैं।

सेविका, सहायिका, जीविका व आशा गांवों में जाकर महिलाओं व बच्चों को जागरूक कर रही हैं। उन्हें एईएस के लक्षण व उससे बचाव की जानकारी दे रही हैं। इसके साथ जल्द ही पोस्टर, बैनर होर्डिंग व फ्लैक्स के माध्यम से भी व्यापक प्रचार-प्रसार भी शुरू हाेगा। उन्हाेंने जनसंपर्क विभाग की एलईडी वैन के माध्यम से भी प्रचार-प्रसार पर जागरूकता आने का सुझाव राज्यस्तरीय टीम काे दिया है। इसे लेकर ही उन्हाेंने निर्माणाधीन शिशु गहन चिकित्सा इकाई के भवन का निरीक्षण किया। इस दाैरान एसकेएमसीएच अधीक्षक सुनील शाही, अस्पताल प्रबंधक संजय साह व परियोजना के प्रबंधक भी उनके साथ थे। डीएम ने कहा कि एईएस से बचाव में पीआईसीयू काफी महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इसके साथ ही पूर्व में उद्घाटन हा़े चुके एमसीएच वार्ड का उपयोग भी एईएस के इलाज में किया जाएगा।

Input : Dainik Bhaskar

 

 

 

 

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