आलू और मक्के की फसल पर मिट्टी चढ़ाने में परेशानी हुई तो पश्चिम चंपारण के प्रगतिशील किसान राघव शरण प्रसाद ने बना दिए साइकिल के चक्के से उपकरण। खर्च के नाम पर सिर्फ दो हजार रुपये। बिना ईंधन के ही उपयोग में आनेवाला यह उपकरण पर्यावरण के लिहाज से हितैषी है। समय और पैसे की बचत भी। एक मजदूर कई का काम अकेले कर देता है।
नौतन प्रखंड के बैकुंठवा गांव निवासी राघव बताते हैं कि पहले एक एकड़ खेत में लगी फसल पर मिट्टी चढ़ाने के लिए चार दर्जन मजदूर लगते थे। यह खर्चीला होता था। समय पर मजदूर नहीं मिलने से उनकी समस्या और बढ़ गई थी। अब इस जुगाड़ उपकरण से एक एकड़ में लगी फसल पर एक मजदूर दिनभर में मिट्टी चढ़ा देता है।
बगैर ईंधन चलता उपकरण
इस उपकरण की खासियत है कि इसमें किसी तरह के ईंधन का प्रयोग नहीं होता है। ऐसे में यह पर्यावरण का हितैषी भी है। इसे बनाने में साइकिल चक्का, हल और करीब 15 किलो लोहे का उपयोग किया गया। वेल्डिंग वगैरह का खर्च लगाकर इसे बनाने में तकरीबन दो हजार रुपये का खर्च आया। अन्य किसान भी उनकी तकनीक देखने पहुंच रहे। आसपास के किसान प्रेमचंद्र प्रसाद, अखिलेश्वर प्रसाद, नंद किशोर की मानें तो यह तकनीक काफी लाभदायक है।
राष्ट्रीय स्तर पर मिल चुका है सम्मान
राघव करीब 15 वर्षों से उन्नत खेती कर रहे हैं। बीते 12 सालों से ग्रीन हाउस में विभिन्न मौसम में हरेक तरह की सब्जियां उगा रहे हैं। आलू की खेती के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। जैविक खाद के उपयोग से खेती के लिए कृषि अनुसंधान केंद्र व कृषि विभाग भी सम्मानित कर चुका है।
इस बारे में प्रखंड कृषि पदाधिकारी मनोरंजन प्रसाद ने बताया कि ‘राघव शरण प्रसाद ऐसे प्रगतिशील किसान हैं, जो हमेशा कुछ नया करते रहते हैं। फसलों पर मिट्टी चढ़ाने का उनका यह लाभकारी उपकरण इसका प्रमाण है। अन्य किसानों के लिए ये प्रेरणाश्रोत हैं।
Input : Dainik Jagran