शाहगंज निवासी दंपती के बीच झगड़ा मामूली था। पति को इस बात की शिकायत थी कि पत्नी उसकी मां के पैर नहीं छूती। पत्नी सास के पैर छूने के लिए तैयार नहीं थी। दोनों ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। कोई झुकने को तैयार नहीं था। पत्नी गुस्सा होकर मायके चली गई। पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर दी।मामला काउंसलर के पास पहुंच गया।

काउंसलर ने दोनों को बुलाकर बातचीत की। पति का कहना था कि वह पत्नी से सुलह चाहता है। मगर, यह भी चाहता है कि पत्नी उसकी बात मान रखे। वहीं पत्नी का कहना था कि वह भी पति से सुलह चाहती है, लेकिन पति उस पर किसी तरह का दबाव न बनाए। वह अंग्रेजी माध्यम से पढ़ी है। उच्च शिक्षित है, उसने घर में भी कभी बर्तन नहीं मांजे, इसलिए अादत नहीं है। उसे सामंजस्य बैठाने में थोड़ा वक्त लग रहा है। काउंसलर ने मध्यस्थ की भूमिका निभाकर दोनों को समझाया तो बात बन गई।

केस दो: जगदीशपुरा निवासी दंपती के बीच इस बात को लेकर झगड़ा हो गया कि पत्नी समय पर चाय बनाकर नहीं देती है। इसे लेकर पति-पत्नी के बीच तनातनी इतनी बढ़ी कि पति ने एक दिन हाथ उठा दिया। इस पर पत्नी मायके चली गई। पति और ससुराल वालों के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर दी। दोनों को कांउसलर के पास भेजा गया। दोनों काउंसिलिंग के लिए पहुंचे। पत्नी का कहना था कि पति सुबह छह बजे ही चाय मांगने लगता है। सुबह छह बजे उठने के बाद उसका पूरा दिन काम में जुटे रहना होता है। इसलिए वह सुबह कुछ देर से उठना चाहती है। पत्नी की शिकायत थी कि वह उच्च शिक्षित है, पति उससे नौकरानी की तरह काम करने की अपेक्षा करता है। वहीं पति की शिकायत थी कि उसकी दिनचर्या सुबह छह बजे से चाय के साथ शुरू होती है। काउंसलर ने दोनों की शिकायतें सुनी। इसके बाद उन्हें बीच का रास्ता सुझाया कि सुबह की चाय पति खुद बना लिया करे। पहले तो पति को यह लगा कि काउंसलर पत्नी की तरफदारी कर रहे हैं। मगर, जब उसे समझाया गया तो वह राजी हो गया।

आगरा के दंपतियाें को एक दूसरे से छोटी-छोटी बातों पर शिकायतें हैं। यह शिकायतें कभी-कभी बढ़कर विवाद का रूप ले लेती हैं। विशेषकर उच्च शिक्षित नौकरी पेशा बहुओं की पीड़ा है कि पति और सास उनसे नौकरानी की तरह काम कराना चाहते हैं। घर के बर्तन-झाड़ू से लेकर आफिस तक की जिम्मेदारी निभाने की अपेक्षा करते हैं। अगर वह अपनी बात रखने का प्रयास करें तो इसे गलत व्यवहार की श्रेणी में रख देते हैं। आगरा के दंपतियाें को एक दूसरे से शिकायतें तो हैं, लेकिन वह सुलह का रास्ता भी खुला रखना चाहते हैं। दंपतियों के बीच सुलह की इसी सोच ने महिला थाने में मुकदमों की रफ्तार पर ब्रेक लगाने का काम किया है।

वर्ष 2019 में महिला थाने में 250 महिलाओं ने पति और ससुराल वालों पर उत्पीड़न का केस दर्ज कराया। जबकि वर्ष 2020 में सिर्फ 50 लोगों ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया। वहीं इस साल 14 जनवरी तक सिर्फ दो मुकदमे दर्ज हैं। हालांकि मुकदमों की संख्या कम होने में कोरोना फैक्टर भी एक प्रमुख कारक रहा था। मगर, शिकायतों की संख्या 2019 की तरह ही बढ़ी हुई थी। दंपती काउंसिलिंग के दौरान एक दूसरे से अपनी शिकायतें कांउसलर को बताते हैं। मगर, कुछ तारीखों तक काउंसिलिंग के बाद वह सुलह कर लेते हैं।

दंपतियों के बीच इन बातों को लेकर होता है विवाद

  • -पति उनकी बात नहीं सुनते, सुबह कुछ कहो तो शाम को आफिस से लौटने के बाद बात करने की कहते हैं। शाम को बात करने का प्रयास करो तो कहते हैं कि वह थक गए हैं।
  • -सास बात-बात पर ताना देती हैं। उनके कामों में कमी निकालती रहती हैं।
  • -घर की साफ-सफाई करने के बाद सास उसे दोबारा अपने तरीके से कराना चाहती हैं।
  • -ननद अपनी मां और भाई से उनकी शिकायत करके झगडा कराने का प्रयास करती है।
  • -पति शराब पीकर आते हैं, देर से घर लौटते हैं।
  • -ज्यादातर समय फाेन पर व्यस्त रहते हैं। इसे लेकर कुछ कहो तो झगडने लगते हैं।
  • -पतियों की शिकायत थी कि पत्नी घर में घुसते ही शिकायतें शुरू कर देती है।
  • -काम पर से लौटने के बाद वह कुछ देर शांति चाहते हैं।
  • -मोबाइल पर जरूरी काम निपटाने पर पत्नी समझती है कि वह किसी लड़की से चैट कर रहे हैं।

Input: Dainik Jagran

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