सिंचाई की नई तकनीक अपनाकर मुजफ्फरपुर के किसान लालबाबू सहनी ने न सिर्फ अपनी दुनिया बदली, बल्कि दूसरे के लिए भी नजीर बन गए हैं। नयी तकनीक अपनाकर उन्होंने खेती पर खर्च कम किया और मुनाफा बढ़ाया। अपनी इस उपलब्धि से पिलखी गांव के लालबाबू सहनी राष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाले 25 लाख रुपये के पुरस्कार की दौड़ में शामिल हो गए हैं। पहला राउंड पार कर वे दूसरे राउंड की तैयारी में जुट गए हैं। लालबाबू सहनी केंद्रीय कृषि विवि पूसा की बोट सिंचाई प्रणाली को अपनाकर ढाब इलाके में बेकार पड़ी जमीन को पट्टे पर लेकर सब्जी की खेती शुरू की। उनके इस प्रयास में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि के कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव तथा स्टार्टअप फैसिलिटी के परियोजना निदेशक डॉ. मृत्युंजय कुमार ने मार्गदर्शन किया। वीसी डॉ.आरसी श्रीवास्तव ने बताया कि इनोवेटिव आइडिया पुरस्कार के लिए लालबाबू सहनी का चयन राष्ट्रीय संस्थान मैनेज ने प्रथम राउंड में किया है। आगे के राउंड में भी चयन होने पर उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा।

सिंचाई में डीजल के 40 हजार रुपये बचाए

कृषि विवि के परियोजना निदेशक डॉ. मृत्युंजय कुमार ने बताया कि पिछले साल कुलपति समेत कृषि अभियंत्रण के वैज्ञानिक डॉ.एसके जैन, डॉ.रवीश चंद्रा व उनकी टीम ने सोलर बोट सिस्टम से सिंचाई प्रणाली विकसित की थी। इसे नदी से जोड़कर प्रति सेकंड करीब साढ़े पांच लीटर पानी निकाल सिंचाई होती है। यह तकनीक सपोर्ट फाउंडेशन के माध्यम से किसान लालबाबू सहनी को इसी साल जनवरी 2020 दी गई। उसने विवि के तकनीक का उपयोग करते हुए दूसरे किसान से सस्ते में ढाब की बेकार पड़ी चार एकड़ जमीन लेकर भिंडी, नेनुआ, कद्दू, खीरा, बैगन आदि की खेती की। जमीन बूढ़ी गंडक नदी के किनारे ऊपरी हिस्से में है। बोट सिस्टम से बूढ़ी गंडक के पानी से उसने खेत में सिंचाई की। बीते चार महीनों में सब्जियों से उन्होंने अच्छा मुनाफा कमाया। किसान लालबाबू ने बताया की सोलर बोट प्रणाली से सिंचाई कर डीजल के करीब 40 हजार बच गए। इसके अलावा नए तथा पुराने खेत मिलाकर करीब दो लाख रुपये इस वर्ष सब्जी बेचकर कमाई हुई है।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक

परियोजना से जुड़े वैज्ञानिक डॉ. सुधानन्द लाल ने बताया कि लालबाबू के काम को राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान हैदराबाद (मैनेज) की रफ्तार योजना में प्रस्तावित किया गया है। मैनेज ने किसान की ऑनलाइन काउंसलिंग की तथा उनकी फसल का अवलोकन किया गया। संतुष्ट होकर किसान को पहले राउंड में चुना गया है। एक और राउंड बचा है। लालबाबू का आवेदन बिहार का इकलौता आवेदन है। संस्थान किसान को दो महीने की ट्रेनिंग भी देगा। डॉ. सुधानंद लाल ने बताया कि संस्थान जल्द ही चयनित किसानों की सूची जारी करेगा। यह राशि किसान को इस परियोजना के विस्तार के लिए मिलेगा। यह बिहार के गौरव की बात है।

Input : Hindustan

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