बीते मंगलवार को ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी उपरांत त्रयोदशी तिथि में दोपहर 1 बजकर 11 मिनट पर सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश हो गया। बिहार में आर्द्रा नक्षत्र शुरू होने के साथ ही घरों में विशेष रूप से खीर, दाल वाली पूड़ी बनाकर इस नक्षत्र में भगवान विष्णु को भोग लगाकर ग्रहण किया जाता है।
आरोग्यता पाने के लिए इस नक्षत्र में विशेष रूप से आम भी खाने का चलन है। कृषि कार्य की शुरुआत इसी नक्षत्र में होने के कारण यह नक्षत्र सर्वाधिक लोकप्रिय है। आषाढ़ कृष्ण द्वादशी दिन मंगलवार 6 जुलाई की दोपहर लगभग 2 बजे तक यह नक्षत्र रहेगा। यह नक्षत्र जितने दिन रहता है उतने दिन बरसात की अधिक संभावना रहती है। इससे खेती पर अच्छा असर पड़ता है। इसी नक्षत्र से ही मानसूनी वृष्टि की शुरुआत होती है।
इस बार मानसून की निष्क्रियता के आसार
पंचांग और ज्योतिष के जानकार बताते हैं कि 27 नक्षत्रों में आर्द्रा कृषि प्रधान नक्षत्र है। ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी उपरांत त्रयोदशी के साथ मंगलवार की मिथुन संक्रांति तथा मंगल को ही आर्द्रा का प्रवेश वर्षा के लिये शुभफल कारक नहीं है। आचार्य पंडित राकेश झा बताते हैं कि इस बार आर्द्रा में पूरे प्रदेश में मानसून निष्क्रियता की स्थिति बन सकती है। हालांकि पड़ोसी राज्यो में कुछ राज्यों में खंड वृष्टि तो कहीं अति वृष्टि के भी योग बन रहे हैं। राजस्थान, दिल्ली व गुजरात में मानसून मेहरबान होगा। अगस्त में मंगल के अस्त तथा बुध के उदय होने से सभी क्षेत्रों में मानसून सक्रिय रहेगा।
Source : Hindustan