लोक आस्था के महापर्व छठ में देव के प्रसाद विक्रेताओं की सालभर की कमाई निकल जाया करती थी. आज वही प्रसाद विक्रेता कोरोना महामारी के कारण तंगहाली का जीवन व्यतीत कर रहे हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर चैत्र माह में छठ पर्व पर रोक लगा दी गयी थी और मंदिर के पट के साथ- साथ सूर्यकुंड तालाब में भी श्रद्धालुओं के प्रवेश निषेध कर दिए गए थे.

कार्तिक माह में भी सरकार के द्वारा आई गाइडलाइन के कारण छठ पर्व को घरों में ही मनाने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसी स्थिति में जहां वर्ष में दो बार दस लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी, वहां सन्नाटा पसर जाने से प्रसाद विक्रेताओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और उनके प्रसाद व्यवसाय पर ग्रहण लग गया है.

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श्रद्धालुओं के नहीं आने से प्रसाद की बिक्री नहीं हो रही है. जिसके कारण उन्हें आर्थिक समस्या से जूझना पड़ रहा है. विक्रेताओं का कहना है कि इस महामारी ने उनके व्यवसाय को चौपट कर रखा है.

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Source : Live Cities

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