बिहार विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा के साथ ही बिहार में अगले दो-तीन दिनों में गठबंधन के दलों की स्थिति भी साफ हो जाएगी। कौन-किस नाव पर सवार होंगे यह भी तय हो जाएगा। परंतु यह तो पहले ही साफ हो गया है कि वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से अलग समीकरण में योद्धा दिखेंगे। यह भी साफ है कि मुख्य लड़ाई एनडीए बनाम महागठबंधन में होगी। पर अभी दोनों खेमों में तय होना बाकी है कि किस गठबंधन में कितने दल होंगे। क्योंकि दोनों ही गठबंधनों के एक-एक दल क्रमश: रालोसपा और लोजपा के बदले तेवर उनकी स्थितियों और साथ में बदलाव के संकेत दे रहे हैं।

वर्ष 2015 के चुनाव में 1998 के बाद लालू और नीतीश साथ हुए थे। तब कांग्रेस को भी शामिल करके जदयू, राजद ने तीन दलों का गठबंधन बनाया था। दूसरी तरफ भाजपा के साथ लोजपा, रालोसपा, हम ने साथ-साथ चुनाव जीता था। महागठबंधन में जदयू और राजद ने 101-101 सीटों पर तो कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था। बिहार की जनता ने 178 सीट देकर महागठबंधन की सरकार बना दी थी। इनमें राजद को 80, जदयू को 71 जबकि कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं ।

वहीं बात एनडीए गठबंधन की करें तो इसे सिर्फ 58 सीटों से संतोष करना पड़ा था। भाजपा ने 157 सीटें लड़ीं और 53 जीतीं, लोजपा ने 42 पर लड़कर 2 सीटें पाईं, रालोसपा को 23 में दो जबकि हम को 21 सीटों में से सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। इसके अलावा वामपंथी पार्टियों ने एकला चलो की राह पर चुनाव लड़ा था। सिर्फ माले ने तीन सीटें जीतीं। पिछले चुनाव के साथियों की बात करें तो सिर्फ राजद और कांग्रेस फिर इकट्ठे हैं। वाम पार्टियां भी अबकी इनके साथ हैं। महागठबंधन से उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा प्राय: छिटक चुकी है, उनका एनडीए में शामिल होने का सिर्फ औपचारिक एलान बाकी है। वहीं मांझी अपने ‘हम’ को पहले ही जदयू के साथ एनडीए का हिस्सा घोषित कर चुके हैं। एनडीए में थोड़ी पशोपेश लोजपा को लेकर है। एनडीए जहां नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव में जा रहा है, वहीं चिराग पासवान नीतीश के नेतृत्व पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं।

देखना दिलचस्प होगा कि वे एनडीए में रहते हैं या अकेले जाकर 143 सीटों पर जदयू के खिलाफ प्रत्याशी देते हैं। मुकेश सहनी की वीआईपी की भी स्थिति साफ नहीं है। इन दोनों प्रमुख घटकों के अलावा आधा दर्जन से अधिक पार्टियां और नेता हैं जो अपनी उपस्थिति को मददगार बनाने के लिए एड़ी-चोटी एक करते दिखेंगे। इनमें पप्पू यादव की पार्टी जाप, रंजन यादव की पार्टी जनता दल राष्ट्रवादी,जदयू सेक्यूलर, आप, बसपा, सपा, एआईएमआईएम, राकांपा, सजद (डी), लोजद, राष्ट्रीय सबलोग पार्टी आदि शामिल हैं। बहरहाल, बिहार की जनता के सामने नया समीकरण होगा। देखना होगा कि जनता भाजपा-जदयू को अपना आशीर्वाद देती है या फिर राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को।

Source : Hindustan

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