कोराना वायरस के संक्रमण के थर्ड स्टेज से बचने की खातिर देश में 21 दिन के लॉकडाउन के कारण लोग आवश्यक काम से ही बाहर निकल रहे हैं। ऐसे में भी लोगों को जिले के शीर्ष अधिकारी की अभद्र भाषा का सामना करना पड़ रहा है। मामला रायबरेली का है, जहां पर जिलाधिकारी शुभ्रा सक्सेना से बोल बिगड़ गए हैं।

घर से प्रेग्नेंट पत्नी की दवा लेने निकले युवक से उन्होंने कहा कि ऐसे (लॉकडाउन) में भी सबकी बीवियां प्रेग्नेंट हो रही हैं। इतना ही नहीं चक्की पर गेहूं डालकर लौट रहे युवक से वह गेंहू खरीदने की रसीद मांगने लगीं और फिर अपने स्टाफ से उन सभी को गाड़ी में बैठाने का निर्देश दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लॉकडाउन की अपील पर लोग घरों से तो बाहर नहीं निकल रहे हैं। अति आवश्यक काम से जो बाहर भी निकल रहा है उनको जिला तथा पुलिस प्रशासन की सख्ती झेलनी पड़ रही है। कोरोना वायरस के कहर के कारण देश में अचानक ही लॉकडाउन मरीजों के साथ उनके घर के लोगों के लिए समस्या बन गया। ऐसे में भी रायबरेली की जिला अधिकारी के बिगड़े बोल चर्चा के विषय हैं।

बुधवार रात चेकिंग के दौरान जिलाधिकारी शुभ्रा सक्सेना कभी लोगों से यह कहती नजर आती हैं कि क्या सबकी बीवियां इस समय प्रेग्नेंट हो गई हैं तो कभी साथ चलने वाले व्यक्ति को पुलिस की गाड़ी में बिठाकर जेल भेजने की बात कहती नजर आ रही हैं। मामला डिग्री कॉलेज चौराहे का है। चौराहे पर चेकिंग के दौरान जिलाधिकारी शुभ्रा सक्सेना ने एक्टिवा पर युवकों को रोका। इसके बाद घर से बाहर निकलने का कारण पूछा तो युवक ने अपनी प्रेग्नेंट बीबी की दवा लेने का कारण बताया। इसके बाद उन्होंने दवा की पर्ची मांगी और कहा कि इस समय (लॉकडाउन) में सबकी बीवियां प्रेग्नेंट हो गई हैं। जब युवक ने पर्चा दिखा दिया तो युवक के साथ गए युवक के बारे में पूछा और उसे पुलिस की गाड़ी में बैठाकर कोतवाली भेजने का निर्देश दिया।

Input : Dainik Jagran

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