पिछले दो-तीन दशकों में प्राकृतिक जलस्रोतों का दोहन हुआ है। उन्हें नुकसान भी पहुंचाया गया है। उत्तर बिहार में तो तालाबों को सुनियोजित तरीके से सुखाकर उन पर कब्जा कर लिया गया। कहीं सब्जी मंडी बना ली गई तो कहीं पक्का निर्माण हो गया। यहां एक लाख आठ हजार, 211 एकड़ रकबे में फैले कुल 21 हजार 529 छोटे-बड़े सरकारी तालाबों में तीन हजार 418 अतिक्रमण के शिकार हैं। मुजफ्फरपुर में तीनपोखरिया, मोतिहारी में धर्मसमाज पोखर, मधुबनी में ढोढिय़ा जैसे सैकड़ों पोखर अतिक्रमण से सिकुड़ते जा रहे।

मधुबनी में सर्वाधिक अतिक्रमण : मधुबनी में 10 हजार 747 सरकारी तालाब हैं। इनमें करीब 1500 अतिक्रमण के शिकार हैं। हालांकि, पिछले दो वर्षों में 300 अतिक्रमण मुक्त कराए जा चुके हैं। मोतिहारी में 1648 सरकारी तालाबों में 586 अतिक्रमित थे, इनमें 510 को मुक्त कराया जा चुका है। शेष 76 को मुक्त कराने का अभियान चल रहा है। अपर समाहर्ता शशि शेखर चौधरी का कहना है कि अतिक्रमित तालाबों में 96 फीसद को मुक्त करा लिया गया है।

मुजफ्फरपुर में 1562 तालाबों में से 440 अब भी अतिक्रमण के शिकार हैं। यहां घिरनी पोखर का अस्तित्व ही खत्म हो गया है। अब वहां सब्जी मंडी है। समस्तीपुर में 1340 में 37 तालाबों पर अतिक्रमण है। अभियान चलाकर 480 को मुक्त कराया गया है। बेतिया में 2580 तालाबों में से 210 पर अब भी अतिक्रमण है। यहां 2370 तालाबों को मुक्त कराया गया है। सीतामढ़ी में 1328 तालाबों में से 400 पर अतिक्रमण है। जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा बताती हैं कि तालाबों के संरक्षण व अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। डीडीसी खुद इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं। यहां 50 तालाबों को अतिक्रमण से मुक्ति मिली है। दरभंगा में 2265 तालाबों में से 755 पर अतिक्रमण है, जबकि 498 को मुक्त कराया गया है।

Input: Dainik Jagran

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