एईएस पीडि़त बच्चे दोहरी मार झेल रहे हैं। पहला, मौसम अनुकूल नहीं है। दूसरा, एसकेएमसीएच तक में उपलब्ध चिकित्सा संसाधन पर्याप्त नहीं है। बीमारी भयावह होने के बाद बच्चों को बचाने पहुंची केंद्रीय टीम एसकेएमसीएच में उपलब्ध संसाधनों से असंतुष्ट दिखी।

टीम के सदस्यों का मानना है कि इस तरह की बीमारी के बेहतर उपचार के लिए ट्रामा सेंटर, बड़ी आइसीयू, योग्य चिकित्सक एवं एक्सपर्ट नर्स होने चाहिए। जो यहां नहीं है। हालांंकि टीम के चिकित्सक इस संबंध में विस्तार से बोलने से कतराते रहे।

एईएस पीडि़त बच्चे दोहरी मार झेल रहे हैं। पहला, मौसम अनुकूल नहीं है। दूसरा, एसकेएमसीएच तक में उपलब्ध चिकित्सा संसाधन पर्याप्त नहीं है। बीमारी भयावह होने के बाद बच्चों को बचाने पहुंची केंद्रीय टीम एसकेएमसीएच में उपलब्ध संसाधनों से असंतुष्ट दिखी। टीम के सदस्यों का मानना है कि इस तरह की बीमारी के बेहतर उपचार के लिए ट्रामा सेंटर, बड़ी आइसीयू, योग्य चिकित्सक एवं एक्सपर्ट नर्स होने चाहिए। जो यहां नहीं है। हालांंकि टीम के चिकित्सक इस संबंध में विस्तार से बोलने से कतराते रहे।

केंद्रीय टीम का मानना है कि बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए यहां बड़ी आइसीयू अनिवार्य है। बच्चों के समुचित उपचार में आइसीयू सबसे अहम है। वैसे संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने वैकल्पिक व्यवस्था की है। यहां चार पीआइसीयू वार्ड हैं। एक एवं दो नंबर पीआइसीयू थर्ड फ्लोर पर है।

एक में आठ एवं दूसरे में छह बेड की क्षमता है। वहीं थ्री एवं फोर सेकेंड फ्लोर पर है। ऑर्थो एवं शल्य विभाग की आइसीयू में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पीआइसीयू थ्री एवं मेडिसिन एवं स्त्री रोग विभाग की आइसीयू को पीआइसीयू फोर बनाया गया है। उपचार करने वाले चिकित्सक भी मानते हैं कि इससे उपचार प्रभावित हो रहा है।

Input : Dainik Jagran

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