करोना वायरस महामारी में ऑनलाइन क्लासेज के लिए गरीब बच्चों के पास लैपटॉप या मोबाइल फोन न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि इसके लिए राज्यों और केंद्र सरकार को जिम्मेदारी ले कर छात्रों को सुविधा देनी चाहिए. कोर्ट ने आज केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा कि गरीब बच्चों को ऑनलाइन क्लास की सुविधा कैसे प्राप्त होगी, उसके लिए पैसा कहां से आयेगा, ये बताया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की हालत तो फिर भी बेहतर हो सकती है, लेकिन गांव और आदिवासी इलाकों के बारे में सोचने की जरूरत है. वहां बड़ी तादाद में बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं. यह बहुत ही गंभीर मामला है और राज्य सरकार को इस पर विचार करना चाहिए. कोर्ट में इस बात पर चर्चा हो रही थी कि क्या निजी स्कूल में ईडब्लूएस (EWS) कैटेगरी और दूसरे गरीब बच्चों को राज्य सरकार को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मुफ्त सुविधा देनी चाहिए.
Supreme Court directs #Delhi govt to come up with a plan to help children under EWS & disadvantaged group category during pandemic for their online classes. pic.twitter.com/D04EdqsEXx
— Asianet Newsable (@AsianetNewsEN) October 8, 2021
इससे पहले पिछले साल सितंबर के महीने में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि निजी स्कूलों में 25 फीसदी ऐसे बच्चों को लैपटॉप, टैबलेट या मोबाइल फोन और इंटरनेट पैकेज का खर्च दिल्ली सरकार दे. ऐसा गरीब बच्चों को दूसरे बच्चों के साथ बराबरी पर लाने के लिए जरूरी है. दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
आज हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को प्रथम दृष्टि सही माना. हालांकि, अभी इस मामले पर दोनों पक्षों में बहस होना बाकी है और बहस पूरी होने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा.
लेकिन आज की सुनवाई में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसल बहुत सोच समझ कर लिखा हुआ लग रहा है. अगर गरीब बच्चों को सरकार मदद नहीं करेगी तो शिक्षा का अधिकार कानून बेमायने हो जायेगा. इसलिए दिल्ली सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वो इस पर एक विस्तृत प्लान कोर्ट के सामने पेश करे. केंद्र सरकार भी उसमे राज्य सरकार के साथ मिल कर काम करे ताकि इस मसले का कोई हल निकाला जा सके.
ऑनलाइन क्लास की दिक्कत को बयान करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम ने देखा है कि हमारे ड्राइवर के बच्चे किस तरह से एक फोन से क्लास कर रहे थे. अगर किसी के पास दो बच्चे हैं तो उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वो दो लैपटॉप या स्मार्ट फोन खरीदें और फिर इंटरनेट का भी खर्च है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका का दायरा निजी स्कूलों से बढ़ा कर दिल्ली के सभी स्कूलों के लिए कर दिया. कोर्ट का ये मानना कि सभी स्कूलों में गरीब बच्चे पढ़ते हैं और उन सब के बारे में सोचना है.
ये मामला सिर्फ EWS कैटेगरी तक सीमित नहीं है.
Input : News18
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