त्योहार आते ही रेलवे टिकटों की मारामारी शुरू हो जाती है और ऐसे में एजेंट (दलाल) मनमानी कीमतों पर टिकट बेचकर मोटा पैसा कमाते हैं. इससे जरूरतमंद लोगों को टिकट नहीं मिल पाती है. कोरोना के इस दौर में जब बेहद कम ट्रेन चल रही हैं तो भी ऐसे दलाल सक्रिय हैं. रेलवे सुरक्षा बल ने एक ऐसे ही गिरोह का पर्दाफाश किया है जो अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए रेलवे के इन टिकटों पर कब्जा जमाकर इन्हें मनमानी कीमतों पर बेच रहे थे.

चौंकाने वाली बात यह है कि इस गिरोह के सदस्य जिस सॉफ्टवेयर की मदद से आईआरसीटीसी के जरिए टिकट बुक करते थे उसमें उन्हें कैप्चा और मोबाइल ओटीपी की भी जरूरत नहीं होती थी. जिस सॉफ्टवेयर के जरिए इस गोरखधंधे को अंजाम दिया जा रहा था उसका नाम रीयल मैंगो है.

रेलवे सुरक्षा बल ने इस अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए होने वाली टिकट बुकिंग का पता लगाया जिसके बाद पश्चिम बंगाल, बिहार, असम और गुजरात से कुल 50 लोगों को गिरफ्तार किया है. अवैध सॉफ्टवेयर रीयल मैंगो पांच स्तरीय ढांचे में बेचा जाता था और इसके सिस्टम एडमिन को बिटक्वाइन में इसका पेमेंट मिलता था.

रेलवे की तरफ से इस बड़ी कार्रवाई को लेकर आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया, शातिर दलाल अलग-अलग आईआरसीटीसी आईडी के जरिए लॉगइन करते थे और फिर टिकट बुक करते थे.

उन्होंने कहा, आरपीएफ की अलग-अलग क्षेत्रीय इकाइयां सिस्टम डेवलपर और अहम प्रबंधकों समेत अबतक 50 लोगों को गिरफ्तार करने में और पांच लाख रुपए से अधिक मूल्य के टिकटों को रोकने में सफल रही है. सिस्टम डेवलपर इस गिरोह का मुख्य सरगना है.

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