माज के खास वर्ग शिक्षाविदों के लिए एक बार फिर चुनाव का मौसम आ गया है। सदन तक जाने के लिए हर उपाय में नेताजी दिख रहे हैं। कभी नाव पर साइकिल तो कभी साइकिल पर नाव वाली हालत इन दिनों शिक्षा मंदिर की कमान संभालने वाले शिक्षाविदों की दिख रही है।
रेट से दो पाई कम पर होगा काम : शिक्षा के मंदिर से सदन की चौखट पर जाने के इच्छा पाले एक कॉलेज के सर्वेसर्वा महोदय पहुंचे दियरा इलाके में। घूमते-घूमते एक विद्यालय में पहुंचे। विद्यालय में ताला लटका मिला, लेकिन उनके साथ चल रहे एक चेला ने वहां छानबीन की तो पता चला कि इस स्कूल के मुख्य कर्ताधर्ता तो अपने बिरादरी के ही हैं। उसके बाद उनके मोबाइल नंबर का जुगाड़ किया गया। शिक्षाविद नेताजी के साथ चल रही टोली वहां पर एक दुकान पर चाय की चर्चा में व्यस्त हो गई। मोबाइल नंबर पर नेताजी ने संपर्क किया तो उधर से आवाज आई कौन। फिर परिचय का आदान-प्रदान हुआ। नेताजी विद्यालय आने का आग्रह करने लगे। आग्रह के बाद सर जी अपने पुत्र के साथ बाइक से हाजिर हुए। वहां पर जब संवाद शुरू हुआ तो नेताजी बोले हमरा न पहचनली..। हम उ मूंछ वाला जे हथिन उनकर कुटुंब हती..। नेताजी की बात समाप्त होते ही शिक्षक बोले कि उनके परिचय लेकर हम अपने से मिलल रही, लेकिन अपने त पहचाने से इन्कार कईली..। खैर की बात हई.। नेताजी ने उनसे शिक्षकों की सूची व मोबाइल नंबर मांगे। उन्होंने एक दिन बाद आने की बात कही। नेताजी बोले कि मदद होना चाहिए तो उनको जवाब मिला कि अभी तो लेट है, लेकिन जब समय आएगा उसमें जो बाजार का रेट खुलेगा उससे दो पाई कम पर आपका काम होगा। चिंता मुक्त होकर जाइए। रेट का मंथन करते हुए नेताजी की टोली फिर दूसरे पड़ाव की ओर निकल पड़ी..।
-एक नागरिक।
Input : Dainik Jagran