मध्य प्रदेश की राजनीति के लिए शुक्रवार बेहद अहम दिन साबित हुआ. मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लगभग 15 महीनों की सरकार चलाने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.
कमल नाथ ने कहा कि “मुझे जनता ने पांच साल का मैन्डेट दिया था. इससे पहले बीजेपी को प्रदेश में 15 साल दिए गए थे काम करने के लिए.”
“मैंने तय किया है कि राज्यपाल के पास अपना इस्तीफ़े भेज दूंगा.”
इससे पहले भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ से शुक्रवार शाम पांच बजे तक फ़्लोर टेस्ट के ज़रिए बहुमत साबित करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये बाग़ी 16 विधायकों पर ही निर्भर करेगा कि कमलनाथ सरकार के पास बहुमत है या नहीं.
कमलनाथ से सुबह 11 बजे विधायक दल की बैठक बुलाई थी और दोपहर 12 बजे एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की.
उन्होंने बीजेपी पर उनके ख़िलाफ़ साजिश करने का आरोप लगाया और कहा कि “हमारे 22 विधायकों को प्रलोभन दे कर उन्हें बंधक बनाया गया है. करोड़ों रूपये खर्च कर प्रलोभन का खेल खेला गया है. भाजप ने ऐसा कर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की है.”
सियासत को देखते हुए पहले से थी अटकलें
इस बीच ऐसी अटकलें लगाई जा रही थी कि कि कमलनाथ अपने इस्तीफ़े का भी ऐलान करेंगे. इस बारे में जब राज्य के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रेस कॉन्फ़्रेंस का इंतज़ार करना बेहतर होगा.
कांग्रेस मंत्री मंत्री पीसी शर्मा ने विधायकों की ख़रीद फोख्त को लेकर चल रही चर्चा के बारे में कहा कि वो ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ नहीं बल्कि ‘एलिफ़ेंट ट्रेडिंग’ कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “हम बहुमत साबित करें. हमारे पास ‘फार्मूला 5’ है. 12 बजे की प्रेस कॉफ़्रेंस में सब साफ़ हो जाएगा. यह भी बताया जाएगा कि छह विधायकों को कैसे बंधक बनाया गया.”
12 बजे निर्धारित प्रेस कॉन्फ़्रेंस से पहले मध्य प्रदेश के विधानसभा स्पीकर ने कहा कि उन्होंने दुखी मन से विधायकों का इस्तीफ़ा स्वीकार किया और उनके पास ऐसा करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था. स्पीकर ने अब तक 23 विधायकों के इस्तीफ़े स्वीकार किए हैं.