जब अनलॉक की शुरुआत हुई तो बेहतर की आस में मूर्तिकारों ने लाखों का कर्ज लेकर मूर्तियां बनाना शुरू कर दिया। प्रतिमाओं में रंग तक भर दिए लेकिन सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिमा स्थापित कर दुर्गा पूजा करने पर लगाई रोक के कारण मूर्तिकारों की कमर टूट गई है। पहली बार शहर में मूर्ति की स्थापना नहीं होगी।
हरिसभा चौक के मूर्तिकार श्याम कुमार ने बताया कि 3 महीने पहले ही दूरदराज के क्षेत्रों से लेकर आसपास से मूर्ति बनाने का ऑर्डर मिला था। कर्ज लेकर मूर्ति बनाए। अब पूंजी नहीं निकलेगी तो कर्जदारों कैसे लौटाएंगे। यह संकट शहर के सभी मूर्तिकारों के सामने अचानक उभर आई है। जल्द ही सभी आवाज उठाएंगे। बताया कि तीन महीने से एक स्टाफ को खाना-पीना के साथ 15 हजार रुपए तक मजदूरी दे रहे थे।
जनता मूर्ति स्टोर के राजेश कुमार पंडित ने बताया कि तीन महीने पहले ही एडवांस बुकिंग हो चुकी थी। कुछ पैसे भी मिले थे। अब जब मूर्तियां तैयार हो गईं तो प्रशासनिक रोक ने मूर्तिकारों व उनके परिवारों को निराश कर दिया है। मिट्टी व अन्य सामान दोगुने से अधिक दाम देकर मंगवाए ।
मूर्तिकारों की मानें तो शहर के आसपास वाले इलाकों में जलजमाव से इस वर्ष एक ठेला मिट्टी के लिए उन्हें 700 रुपए तक देना पड़ा है। वहीं एक ट्रैक्टर के लिए 5 हजार रुपए तक मांगा गया है। जगदीश मूर्ति स्टोर के शेखर पंडित ने बताया कि चैत्र नवरात्र, गणेश पूजा में भी लाखों का नुकसान हुआ था।
इस प्रकार से लगा है मूर्ति बनाने में खर्च
मिट्टी – 5 हजार तक प्रति ट्रैक्टर
नदी की उजली बालू – 50 रुपए प्रति बोरा
धान का भूसा- 600 रुपए प्रति बोरा
पुआल – 20 रुपए प्रति मुट्ठी0
पटुआ – 100-150 रुपए प्रति किलो
बांस – 150-200 रुपए प्रति पीस
तख्ता, लकड़ी-अलग – अलग रेट के अनुसार
Input: Dainik Jagran