भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) लोन रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम के लिए फाइनेंशियल पैरामीटर्स का ऐलान कर सकता है. CNBC आवाज़ को दिये गये एक इंटरव्यू में RBI गवर्नर ​शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि वन-टाइम रिस्ट्रक्चरिंग (One-Time Loan Restructuring) के तहत बैंक लोन मोरेटोरियम की अवधि को 3, 6 या 12 महीनों के लिए बढ़ा सकते हैं. कोरोना वायरस महामारी के बीच उधार लेने वालों को रिपेमेंट में हो रही परेशानी को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक ने लेंडर्स को अनुमति दिया था कि वो 3 महीने की EMI पर लोन मोरेटोरियम की सुविधा दें. यह 1 मार्च से लेकर 31 मई 2020 के बीच बकाये ईएमआई के लिए था. लेकिन, इसे 3 महीने के लिए और बढ़ाकर 31 अगस्त 2020 कर दिया गया था.

इसके बाद केंद्रीय बैंक ने लेंडर्स को लोन अकाउंट को बिना नॉन-परफॉर्मिंग एसेट घोषित (NPA) किए ही वन-टाइम लोन रिस्ट्रक्चरिंग की अनुमति दी है. यह कॉरपोरेट व पर्सनल लोन्स के लिए होगा. इसके लिए वहीं कंपिनयां या व्यक्ति योग्य होंगे,​ जिन्होंने 1 मार्च 2020 तक 30 दिन से ज्यादा का लोन डिफॉल्ट नहीं किया है. कॉरपोरेट उधारकर्ताओं के लिए बैंक 31 दिसंबर 2020 तक रिजॉल्युशन प्लान शुरू कर सकते हैं. इसे 30 जून 2021 तक लागू कर देना होगा. पर्सनल लोन्स के लिए बैंकों के पास 31 दिसंबर 2020 तक रिजॉल्युशन प्लान शुरू करने का विकल्प होगा और इसके 90 दिन के अंदर इसे लागू भी करना होगा.

RBI ने 7 अगस्त को 5 सदस्यीय कमेटी बनाई है, जिसकी अध्यक्षता ICICI बैंक के प्रूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी के वी कामथ (K V Kamath) करेंगे. ये कमेटी ही स्ट्रेस्ड लोन्स की रिस्ट्रक्चरिंग के लिए पैरामीटर्स तय करेगी. यह कमेटी केवल फाइनेंशियल पैरामीटर्स ही तय करेगी. जैसे डेब्ट इक्विटी और डेब्ट कवरेज आदि. शक्तिकांत दास ने इंटरव्यू में इस बारे में जानकारी दी है.

2 महीने तक एनपीए नहीं घोषित होंगे लोन अकाउंट

बता दें कि दास के इंटरव्यू से करीब 3 पहले ही लोन मोरेटोरियम मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम (Supreme Court) कोर्ट ने कहा था कि अगले दो महीनों तक बैंक खातों को नॉन परर्फोमिंग एसेट्स (NPA) घोषित नहीं किया जा सकता. तीन न्यायाधीशों की बेंच ने मामले पर सुनवाई के बाद कहा कि जिन ग्राहकों के बैंक खाते 31 अगस्त तक NPA नहीं हुए है, उन्हें मामले का निपटारा होने तक सुरक्षा दिया जाये. न्यायाधीश अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह वाली तीन सदस्यीय बैंच इस मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को करेगी.

सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल और न्यायाधीश ने क्या कहा?

सरकार और आरबीआई की तरफ से दलील रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ब्याज पर छूट नहीं दे सकते हैं लेकिन भुगतान का दबाव कम कर देंगे. मेहता ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र (Banking Sector) अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाला कोई फैसला नहीं लिया जा सकता. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वे मानते हैं कि जितने लोगों ने भी समस्या रखी है वे सही हैं. हर सेक्टर की स्थिति पर विचार जरूरी है. लेकिन बैंकिंग सेक्टर का भी ख्याल रखना होगा.

तुषार मेहता ने कहा कि मोरेटोरियम का मकसद यह नहीं था कि ब्याज माफ कर दिया जायेगा. कोरोना के हालात का हर सेक्टर पर प्रभाव पड़ा है लेकिन कुछ सेक्टर ऐसे भी है जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है. फार्मास्यूटिकल और आईटी सेक्टर ऐसे सेक्टर है जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा कि जब मोरेटोरियम लाया गया था तो मकसद था कि व्यापारी उपलब्ध पूंजी का जरूरी इस्तेमाल कर सके और उनपर बैंक के किश्त का बोझ नहीं पड़े.

Source : News18

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