कलम-दवात के देवता और चित्रांश समुदाय के वंशज चित्रगुप्त जी महाराज की विधि-विधान के साथ मंगलवार को पूजा-अर्चना की जाएगी। पूरे जिले में चित्रांश समुदाय की ओर से पूजन की तैयारी जारी है। इसके तहत चित्रगुप्त मंदिर डुमरा, गीता भवन डुमरा, शहर के गांधी चौक स्थित चित्रगुप्त मंदिर और निर्मला उत्सव पैलेस समेत विभिन्न स्थानों पर पूजा-अर्चना की जाएगी। डुमरा स्थित चित्रगुप्त मंदिर की स्थापना वर्ष 1981 में की गई थी। यहां श्री चित्रगुप्त महाराज जी की प्रतिमा स्थापित है। अखिल भारतीय चित्रगुप्त सेवा समिति नामक संगठन द्वारा मंदिर की देखभाल की जाती है। हालांकि यह संगठन इस बार दो खेमे में बंट गया है। एक खेमे के लोग गीता भवन डुमरा में प्रतिमा का निर्माण करा पूजा-अर्चना कर रहे है।
मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा रखते चित्रगुप्त भगवान
शास्त्रों के अनुसार, सृष्टि की रचना के बाद परमपिता ब्रह्मा ने चार वर्ण बनाए। कुछ समय बाद यमराज ने चारों वर्ण के कर्मों के लेखा-जोखा रखने के लिए ब्रह्मा जी से सहायता मांगी। इसके बाद ब्रह्मा जी 11 हजार वर्षों के लिए साधना में लीन हो गए। तपस्या के बाद जब उन्होंने आंखें खोली तो अपने सामने कलम, दवात, पुस्तक व तलवार लिए एक युवक को पाया। ब्रह्मा के पूछने पर उक्त युवक ने बताया कि वह उनके चित में गुप्त रूप से निवास कर रहा था। उसने अपना नाम और काम ब्रह्मा जी से पूछा। अपने शरीर में गुप्त में रूप से रहने के कारण ब्रह्मा ने उनका नामाकरण चित्रगुप्त किया। कहा कि उनका काम प्रत्येक प्राणी द्वारा किए गए सत्कर्म और अपकर्म का लेखा रखना और उसके आधार पर सही न्याय कर उपहार या दंड की व्यवस्था करना है।