कार्तिक पूर्णिमा 2019 का पर्व कल 12 नवंबर को पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। गंगा, सरयू, नर्मदा और यमुना समेत देश की विभिन्न पवित्र नदियों में लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे। इस दिन बहुत से लोग व्रत करते हैं और धार्मिक स्थलों, मंदिरों में पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं। मान्यता है कि चतुर्मास के विश्राम के बाद भगवान कार्तिक पूर्णिमा को जाग्रत अवस्था में होते हैं। वैसे तो पूर्णिमा से ठीक चार दिन पहले देव उत्थान एकादशी भगवान विष्णु की नींद खुलती है लेकिन उनके जाग्रत अवस्था में होने वाली पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा है जिसका व्रत, पूजा और स्नान-दान के लिए विशेष महत्व माना गया है। इसके साथ ही कार्तिक पूर्णिमा इसलिए भी खास है कि इसी तिथि को भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था जो कि उनका पहला अवतार माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने त्रिपुरासुर नामक दैत्य का वध किया था जिसकी खुशी में देवताओं ने देव दीपावली मनाई थी। इसके बाद आज तक हर साल कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है। भागवत पुराण के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान कृष्ण ने गोपियों संग रास रचाया था। कार्तिक पूर्णिमा से जुड़े बहुत से दैवीय घटनाएं व संयोग इस पर्व को और महत्वपूर्ण बना देते हैं। आगे देखें कार्तिक पूर्णिमा तिथि व स्नान-दान का महत्व –
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कार्तिक पूर्णिमा तिथि-
11-11-2019 सोमवार शाम 6.05 बजे से
12-11-2019 मंगलवार शाम 7.14 बजे तक
कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान का मुहूर्त-
सुबह :6:59 से 9.16बजे
दोपहर 12 से2.38 बजे
दीप दान से प्रसन्न होती हैं महालक्ष्मी
आचार्य राजनाथ झा के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा में या तुलसी के समीप दीप जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। देव दीपावली भी मनायी जाती है। इस तिथि को ही महादेव ने त्रिपुरासूर नामक राक्षस का संहार किया था। इससे प्रसन्न होकर देवताओं ने गंगा में दीप दान किया था। इसलिए इस तिथि पर गंगा में दीप जलाकर देव दीपावली मनायी जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर ही मत्स्य अवतार
ज्योतिषाचार्य ई.प्रशांत कुमार के अनुसार भगवान श्रीहरि ने कार्तिक पूर्णिमा पर ही मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की फिर से रचना की थी। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी तिथि पर रास रचायी थी। वहीं सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म भी इसी तिथि को हुआ था। बनारस में कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली मनायी जाती है।
तुलसी का अवतरण भी कार्तिक पूर्णिमा को
कार्तिक पूर्णिमा को ही तुलसी का अवतरण हुआ था। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय हैं। और यह मास भी विष्णु का माना जाता है। इसलिए इसदिन गंगा स्नान,दान खास फलदायी होती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का महत्व –
- -कार्तिक मास में सारे देवता जलाशयों में छिपे होते हैं
- -भगवान श्रीहरि भी पाताल में निवास करते हैं
- -इस तिथि पर गंगा स्नान से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ वाजस्नेय यज्ञ के समान फल
- -सालभर के गंगास्नान और पूर्णिमा स्नान का फल मिलता है
Input : Hindustan