बुधवार को दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल (Bharat Bandh) का आह्वान किया है. यूनियनों का दावा है कि इस हड़ताल में 25 करोड़ लोग शामिल होंगे. अह्वान किया है. सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ इस हड़ताल का आह्वान किया गया है. ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और फेडरेशनों ने पिछले साल सितंबर में ही आठ जनवरी, 2020 को हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banergee) ने अपने आप को इस हड़ताल से अलग कर लिया है. बनर्जी या उनसे जुड़े संगठन इसमें शामिल नहीं होंगे. उन्होंने सोमवार को कहा कि एनआरसी और सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों का मैं समर्थन करती हूं. मैं भारत बंद का समर्थन नहीं करती. उन्होंने कहा कि बंद जैसी ‘चीप पॉलीटिक्स’ को वह सपोर्ट नहीं करेंगी.

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि, ‘आठ जनवरी को होने जा रहे देशव्यापी हड़ताल में हम कम से कम 25 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हड़ताल में हम श्रमिक विरोधी, जनविरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेगे की मांग करेंगे.

नहीं शामिल होंगे ये इस बैंक के कर्मचारी

आठ जनवरी को प्रस्तावित बैंकों की हड़ताल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) से संबद्ध इंडस्ट्रियल फेडरेशन नेशनल आर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स भाग नहीं लेगें. इसके अलावा भारतीय मजदूर संघ से जुड़े दिल्ली प्रदेश बैंक वर्कर्स आर्गेनाइजेशन ने कहा है कि यह बैंक हड़ताल वामदल और कांग्रेस समर्थित बैंक कर्मचारी संगठनों ने बुलाई है.

संगठन के राष्ट्रीय महासचिव अश्वनी राणा ने बताया कि भारतीय मजदूर संघ से जुड़े पब्लिक, प्राइवेट, ग्रामीण और सहकारी बैंकों के संगठन आठ जनवरी की हड़ताल में भाग नहीं लेंगे.

उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक भावना से प्रेरित हड़ताल है, न कि कर्मचारियों के हितों को लेकर. उन्होंने बताया कि कुल नौ यूनियनों में से सिर्फ पांच बैंक कर्मचारी संगठनों ने ही हड़ताल की सूचना जारी की है. हड़ताल करने वाले बैंक कर्मचारी संगठनों में एआईबीईए, एआईबीओए, आईएनबीओसी, आईएनबीईएफ और बीईएफआई भी शामिल हैं.

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