लोकसभा चुनाव को लेकर देश के हर आदमी के मन में काफी सवाल है। जैसे इनमें कुछ सवाल ऐसे भी है- क्या एक बार फिर मोदी सरकार या अब विपक्ष की बारी आने वाली है?, तीन दशक बाद भारतीय इतिहास में जो बहुमत आया था क्या वह फिर से होगा या फिर गठबंधन में छोटे और क्षेत्रीय दलों का बोलबाला होगा? और गठबंधन भारतीय राजनीति में मजबूरी बनने वाला है या फिर ऐसा विकल्प जिसमें हर क्षेत्र के विकास का रास्ता खुले लेकिन दबाव न हो?
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है और वही विपक्ष की ओर से भी भाजपा की हार का दावा ठोका जा रहा है। तो ऐसे में लोकसभा चुनाव को लेकर खड़े हो रहे सवालों पर भाजपा के शीर्ष नेता व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जवाब दिया है। जेटली ने कहा कि देश में माहौल मोदी के पक्ष में है। जनता नेतृत्व को देख रही है और विपक्ष में न तो चेहरा है और न ही नीयत। उन्होंने यह भी कहा, ‘यह सबल नेतृत्व और अराजकता के बीच का चुनाव है और हम बहुमत से आएंगे।’
दैनिक जागरण के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक प्रशांत मिश्र और राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से बातचीत की। प्रस्तुत है उनके साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश…
विवादों पर राष्ट्रवाद भाजपा का बड़ा एजेंडा रहा है। क्या आपको लगता है कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद इसे और धार मिली है?
इस एजेंडे में हमेशा धार रही है। यह देश राष्ट्रवादी देश रहा है। 1971 में जब लड़ाई हुई थी तो क्या पूरा देश इंदिरा जी पीछे नहीं खड़ा था? कारगिल युद्ध के समय क्या पूरा देश वाजपेयी जी के साथ नहीं खड़ा था? यह पहला उदाहरण है कि कांग्रेस और वामपंथी देश को बांटने का काम कर रहे हैं और देश में उनके प्रति घृणा है। वे पाकिस्तानी अखबारों में लीड स्टोरी बन रहे हैं। उनकी लोकप्रियता पाकिस्तान में अधिक और हिंदुस्तान में कम है।
ढाई साल पहले एक सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी और बाद में सरकार ने उसके सुबूत भी दिए थे। विपक्ष फिर से सुबूत मांग रहा है?
यह सवाल आप मिलिट्री स्ट्रैटजी की जानकारी के बगैर पूछ रहे हैं। ओसामा को अमेरिका ने मारा और फिर कहां दफनाया, समुद्र में कहां फेंका, क्या इसके बारे में आपको या किसी को कोई जानकारी है? यह देश के हित और फौज के खिलाफ है कि ऑपरेशन की जानकारी मांगी जाए। दुनिया में आजतक कभी ऐसे ऑपरेशन का सुबूत नहीं दिया गया। यह राष्ट्रविरोधी सोच है कि सुबूत मांगे जाएं।
सर्जिकल स्ट्राइक की भी कितनी जानकारी आपको है? क्या आपको पता है कि उसे किसने लीड किया। कितने बैचेज गए, कितने कैंप तबाह किए, कितने आतंकी मारे गए, इसकी कोई ठोस जानकारी किसी को दी गई क्या? यह नहीं दिया जाता है और देशहित में न ही कभी मांगा जाता है। यह कांग्रेस का उठाया हुआ विवाद है और बाद में ले. जर्नल हुडा साहब को अपने डिफेंस सिक्योरिटी का एडवाइजर बना लिया जो उस समय नार्दर्न कमांड के ले. जनरल थे। हां, यह जरूर है कि जनरल हुडा को शामिल कर कांग्रेस ने देर से ही सही यह मान लिया कि सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी। वरना वह तो इस पर भी सवाल उठा रही थी।
एयरस्ट्राइक में हमारे कितने जहाज गए, कहां-कहां से गए, क्या हुआ, यह सब मिलिट्री स्ट्रैटजी है। और फिर जब एयरफोर्स चीफ ने कह दिया कि वायुसेना ने टारगेट हिट किया तो उसे भी मानने से इन्कार कर रहे हैं। मुझे लगता है कि सिर्फ दो ताकतें एयरफोर्स पर सवाल उठा रही हैं। एक पाकिस्तान और एक कांग्रेस।
आपने कहा कि पहली बार भारत ने यह कर दिखाया है कि सीमा के अंदर घुसकर हम आतंकियों को खत्म कर सकते हैं। प्रधानमत्री भी बार-बार घर में घुसकर सबक सिखाने की बात कर रहे हैं। तो क्या माना जाए कि बालाकोट स्ट्राइक एक ‘न्यू नार्मल’बनने जा रहा है?
रक्षा विशेषज्ञ इसका बेहतर उत्तर दे सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि आतंक के खिलाफ आप बैकफुटपर खेलोगे या फ्रंट फुट पर। भारत ने फ्रंट फुट पर खेलना शुरू किया है। यही समय की मांग भी है।
भाजपा और सरकार कई उपलब्धियां गिना रही है लेकिन कई मुद्दों पर विवाद भी है। ऐसी कोई एक उपलब्धि जिसे आप मानते हों कि निर्विवाद रही?
मैं मानता हूं कि हमारे किसी काम पर विवाद नहीं है। जो भी विवाद फैलाने की कोशिश हो रही है वह पूरी तरह झूठ पर आधारित है। कांग्रेस पांच झूठे मुद्दों पर अपनी राजनीति खड़ी करने की कोशिश में जुटी रही। राफेल फर्जी मुद्दा था। हमने हजारों करोड़ रुपये बचाए और देश की सुरक्षा के लिए बेस्ट एयरक्राफ्ट दिया लेकिन कांग्रेस झूठ से अलग होने को तैयार नहीं है। दूसरा झूठ फैलाया कि सरकार ने पंद्रह उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया यह दूसरा फेक (मनगढंत) मुद्दा था।
सच्चाई यह है और कांग्रेस भी जानती है कि एक का भी कर्ज माफ नहीं हुआ। ईवीएम पर आरोप भी झूठा मुद्दा था। लेकिन कांग्रेस के नेता विदेश तक जाकर भारतीय लोकतंत्र को शर्मसार करने से नहीं चूक रहे हैं। जब जीतते हैं तो अपनी पीठ थपथपाते हैं और जब हारते हैं तो चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था को कठघरे में खड़ा कर देते हैं और अब चौथा मुद्दा चलाया जा रहा है कि बालाकोट में एयरफोर्स का ऑपरेशन सफल नहीं हुआ। फिर क्या कहा जाए, अगर झूठे मुद्दों पर कांग्रेस अपना चुनाव प्रचार खड़ा करने की कोशिश कर रही है तो सवाल उससे होना चाहिए।
जनता से पूछिए कि क्या पांच साल में एक ईमानदार सरकार नहीं चली है। क्या यह सच नहीं है कि पांच साल में भारत सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था थी। क्या यह सच नहीं कि पांच साल में लाखों करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्र में गया। क्या इस पर विवाद हो सकता है 38 फीसद शौचालय अब 99 फीसद हो गया। सौ फीसद घरों में बिजली पहुंच गई है, एक भी ऐसा गरीब का घर नहीं जहां एलपीजी न पहुंच गया। आयुष्मान के कारण 50 करोड़ लोगों को मुफ्त इलाज मिल रहा है। एमएसपी का दाम डेढ़ गुना हो गया। इसमें कहां कोई विवाद है। देश यह भी जानता है कि आतंक के खिलाफ पहली बार इसी पांच साल में सर्जिकल स्ट्राइक भी हुआ और एयर स्ट्राइक भी। देश की जनता को गौरव का अनुभव हो रहा है।
सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि चार पांच महीने पहले ही भाजपा तीन राज्यों में हारी थी?
देखिए, राज्यों का चुनाव अलग होता है। कुछ राज्यों में भाजपा 15-15 साल से थी। कई कारण थे, उसके बावजूद हम खत्म नहीं हुए हैं। वहां कांग्रेस जीती नहीं है, हम थोड़े पीछे रह गए।
राफेल के मुद्दे पर विपक्ष में कई दल हैं, लेकिन उनमें से कोई एक दल जिसे आप मजबूत मानते हों?
विपक्ष में तो अधिकतर क्षेत्रीय दल ही हैं। कांग्रेस की मौजूदगी थोड़ी ज्यादा है। लेकिन कांग्रेस ने देश का विरोध कर जनमानस से अपने आपको दूर किया है। कांग्रेस को भी इसका अहसास हो गया है और इसीलिए बालाकोट और एयरस्ट्राइक से पीछा छुड़ाने के लिए राफेल का फर्जी राग अलापना शुरू कर दिया है। देश का सुप्रीम कोर्ट और सीएजी कह चुके हैं कि राफेल में कोई गड़बड़ी नहीं है। सीएजी ने यह भी बताया है कि हमने संप्रग काल के मुकाबले सस्ती डील की और राफेल पर फैसला कर सेना को मजबूती दी है।
राम मंदिर को लेकर कोर्ट ने मध्यस्थता का निर्णय लिया है। आपको लगता है कि मामला सुलझ जाएगा?
मंदिर को लेकर भाजपा का पुराना संकल्प है। मंदिर बनना चाहिए। वह न्यायिक फैसले से बनता है या दो समाज के बीच बातचीत से इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है।
Input : Dainik Jagran