कार्तिक मास को शास्त्रों में पुण्य मास भी कहा गया है। ग्रंथों के अनुसार, जो फल सामान्य दिनों में एक हजार बार गंगा स्नान का होता है तथा प्रयाग में कुंभ के दौरान स्नान का होता है, वही फल कार्तिक माह में सूर्योदय से पूर्व किसी भी नदी में स्नान करने मात्र से प्राप्त हो जाता है।

#AD

#AD

क्लब रोड स्थित मां राज राजेश्वरी देवी मंदिर के पुजारी आचार्य अमित तिवारी बताते हैं कि कार्तिक मास स्नान की शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है । समापन कार्तिक पूर्णिमा को होता है। इस बार यह 13 अक्टूबर को शुरू हो रहा है।

पद्म पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति पूरे कार्तिक माह में सूर्योदय से पूर्व उठकर नदी अथवा तालाब में स्नान करता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है। भगवान की उन पर असीम कृपा होती है। वे भगवान के अतिप्रिय होते हैं।रामदयालु स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पं.रमेश मिश्र बताते हैं कि कार्तिक स्नान और पूजा के पुण्य से ही सत्यभामा को भगवान श्री कृष्ण की पत्नी होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कथा है कि एक बार कार्तिक मास की महिमा जानने के लिए कुमार कार्तिकेय ने भगवान शिव से पूछा कि कार्तिक मास को सबसे पुण्यदायी मास क्यों कहा जाता है ? इस पर भगवान शिव ने कहा कि जैसे नदियों में गंगा व देवों में विष्णु श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार सभी मासों में कार्तिक श्रेष्ठ मास है। इस मास में भगवान विष्णु जल के अंदर निवास करते हैं। इसलिए इस महीने में नदियों एवं तालाब में स्नान करने से विष्णु भगवान की पूजा और साक्षात्कार का पुण्य प्राप्त होता है।इस मास में नियमित तुलसी में जल अर्पित करने व दीपदान करने का भी विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में किए गए दान-पुण्य का फल व्यक्ति को अगले जन्म में अवश्य प्राप्त होता है।

Input : Dainik Jagran

 

I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me.