कोरोना संकट की महामारी के बीच बिहार में हालत काफी तेजी से बदल रहे हैं. बिहार के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल पीएमसीएच में बड़ी लापरवाही के कारण एक बच्चे की मौत हो जाने के बाद अब सरकार की फजीहत हो रही है. नीतीश सरकार की आलोचना की जा रही है. दरअसल, पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में इलाज के अभाव में 3 मासूम बच्चों की मौत हो गई है. स्थिति यह हो गई है कि हॉस्पिटल के स्टाफ ने पहले तो बच्चों की जान तक नहीं बचाई. जब उसकी जान चली गई तो वह शव देने के लिए पैसा मांगने लगे.
सरकार को डूब कर मर जाना चाहिए
इस घटना के बाद बिहार में राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और सीएम नीतीश के ऊपर हमला बोला है. राबड़ी देवी ने ट्वीट कर करारा हमला राज्य सरकार और विशेषकर स्वास्थ्य विभाग के ऊपर बोला है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि नकारा बिहार सरकार को डूब कर मर जाना चाहिए.
किसी लायक नहीं हैं स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय
राजद सुप्रीमो की पत्नी राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री को घेरते हुए कहा कि इसी PMCH के बेहद ग़ैर ज़िम्मेदार विभागाध्यक्ष को मुख्यमंत्री रिश्तेदारी के चलते निलंबन से मुक्त करते है. बिहार का स्वास्थ्य मंत्री तो किसी लायक है ही नहीं. उसका स्वास्थ्य मंत्री नहीं होना, होने से लाख गुणा बेहतर है. राबड़ी के इस हमले के बाद सत्ता पक्ष की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया है.
मंत्री मंगल पांडेय ने काट दिया कॉल
बच्चों के परिजनों ने बताया कि इलाज में हो रही लापरवाही को लेकर उनलोगों ने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को कॉल किया, लेकिन शिकायत सुनते ही मंत्री साहब ने कॉल को काट दिया. इसके अलावे परिजनों ने मंत्री प्रमोद कुमार को मदद के लिए कॉल किया तो मदद को भरोसा दिया, लेकिन बच्चों की जान चली गई, लेकिन मदद करने के लिए कोई उनका आदमी नहीं पहुंचा. फिर परिजन ने बीजेपी नेता आरके सिन्हा को कॉल किया और बताया कि ब्लड की जरूरत है. उनके पीए से बात हुआ लेकिन मदद मिलने के बदले लॉकडाउन का हवाला देकर पीए ने कॉल काट दिया. सभी ने मदद नहीं की.
सीनियर डॉक्टरों की लापरवाही आई सामने
परिजनों ने बताया कि बच्चों को देखने के लिए डॉक्टर तक नहीं आते हैं. डॉक्टरों को मिलवाने के लिए स्टाफ पैसा मांगते हैं. इलाज सही से नहीं हुआ जिसके कारण बच्चों की मौत हुई. परिजनों का गंभीर आरोप है कि बच्चे जब भर्ती थे तो कोई सीनियर डॉक्टर देखने तक नहीं आया. जब बच्चों की मौत हुई तो कई सीनियर डॉक्टर आए.
सिर्फ बच्चों का इलाज तो कर देते
एक बच्चे के परिजन ने कहा कि हॉस्पिटल में इलाज के दौरान सिर्फ एक दिन दवा मिला. बाकी दवा बाजार से खरीदकर लाना पड़ा. हम बाजार से दवा ला रहे थे, लेकिन इन डॉक्टरों ने बच्चों को जान तक नहीं बचा पाए. तीनों के परिजन बिहार के अलग-अलग जिलों से इलाज कराने के लिए आए थे. नालंदा जिले के रहने वाले एक शख्स ने बताया कि उसकी पत्नी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था. 26 अप्रैल को हॉस्पिटल को भर्ती कराया था. एक बच्चे की आज मौत हो गई. लेकिन दूसरा बच्चा भर्ती है. उस बच्चे को दिखाने के लिए स्टाफ पैसा मांग रहे हैं.
बच्चे की मां से मांगा पैसा
गोपालगंज की रहने वाली महिला के बच्चे की जब मौत हुई तो उसने एंबुलेंस की मांग की लेकिन उसको एंबुलेंस नहीं मिला और पैसा मांगा गया. महिला ने बच्चे को गंगा किनारे ही अंतिम संस्कार कर दिया. वह घर जाना चाह रही है. लेकिन इसके पास पैसा नहीं है.
Input : First Bihar