महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त अपने इष्ट भोलेनाथ और देवी पार्वती की प्रसन्नता और उनका आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखकर इनकी पूजा करेंगे। पुराणों में ऐसी कथा मिलती है कि पूर्वजन्म में कुबेर ने अनजाने में ही महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की उपासना कर ली थी, जिससे उन्हें अगले जन्म में शिव भक्ति की प्राप्ति हुई और वह देवताओं के कोषाध्यक्ष बने। यह जानकारी विद्वान डॉ. विवेकानंद तिवारी ने दी।
उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि के पावन दिन के बारे में कहा जाता है कि यूं तो साल में हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि आती है, लेकिन उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास में कृष्णपक्ष की चतुर्दशी और गुजरात व महाराष्ट्र के पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी सबसे श्रेष्ठ है। इसलिए इसे शिवरात्रि नहीं महाशिवरात्रि कहते हैं। इसकी वजह यह है कि इसी दिन प्रकृति को धारण करने वाली देवी पार्वती और पुरुष रूपी महादेव का गठबंधन यानी विवाह हुआ था।
डॉ. तिवारी बताते हैं कि हिन्दू धर्म में रात्रि कालीन विवाह मुहूर्त को उत्तम माना गया है। इसी कारण भगवान शिव का विवाह भी देवी पार्वती से रात्रि के समय ही हुआ था। इसलिए उत्तर भारती पंचांग के अनुसार, जिस दिन फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि मध्य रात्रि यानी निशीथ काल में होती है उसी दिन को महाशिवरात्रि का दिन माना जाता है।
महाशिवरात्रि पर शिवयोग कब तक
डॉ. विवेकानंद ने बताया कि 11 मार्च महाशिवरात्रि के दिन का पंचांग देखने से मालूम होता है कि इस दिन का आरंभ शिवयोग में होता है, जिसे शिव आराधना के लिए शुभ माना गया है। शिवयोग में गुरुमंत्र और पूजन का संकल्प लेना भी शुभ कहा गया है। लेकिन, शिवयोग 11 मार्च को अधिक समय तक नहीं रहेगा। सुबह 9 बजकर 24 मिनट पर ही यह समाप्त हो जाएगा और सिद्ध योग आरंभ हो जाएगा।
महाशिवरात्रि पर सिद्ध योग का लाभ
सिद्ध योग को मंत्र साधना, जप, ध्यान के लिए शुभ फलदायी माना जाता है। इस योग में किसी नई चीज को सीखने या काम को आरंभ करने के लिए श्रेष्ठ कहा गया है। ऐसे में सिद्ध योग में मध्य रात्रि में शिवजी के मंत्रों का जप उत्तम फलदायी होगा।
महाशिवरात्रि मुहूर्त ज्ञान
– चतुर्दशी आरंभ 11 मार्च : 2 बजकर 40 मिनट
– चतुर्दशी समाप्त 12 मार्च : 3 बजकर 3 मिनट
– निशीथ काल 11 मार्च मध्य रात्रि के बाद 12 बजकर 25 मिनट से 1 बजकर 12 मिनट तक।
– शिवयोग 11 मार्च सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक।
– सिद्ध योग 9 बजकर 25 मिनट से अगले दिन 8 बजकर 25 मिनट तक।
– धनिष्ठा नक्षत्र रात 9 बजकर 45 मिनट तक उपरांत शतभिषा नक्षत्र।
(स्रोत: डॉ. विवेकानंद तिवारी)
Input: Live Hindustan