अंपायर कुमार धर्मसेना ने स्वीकार किया है कि विश्व कप फाइनल में ओवरथ्रो पर इंग्लैंड को छह रन देना उनकी गलती थी। लेकिन साथ ही धर्मसेना ने यह भी कहा कि इस फैसले का उन्हें कभी मलाल नहीं होगा। मार्टिन गुप्टिल का थ्रो दूसरा रन लेने की कोशिश कर रहे बेन स्टोक्स के बल्ले से टकराने के बाद सीमा रेखा के पार चला गया था। जिसके बाद धर्मसेना ने पांच की जगह इंग्लैंड के स्कोर में छह रन जोड़ने का इशारा किया था।

फाइनल में ओवरथ्रो पर हुआ था विवाद     

यह मैच बाद में टाई रहा और सुपर ओवर में भी दोनों टीमों ने समान रन बनाए। जिसके बाद इंग्लैंड को अधिक बाउंड्री लगाने के कारण विजेता घोषित किया गया जिससे न्यूजीलैंड के खिलाड़ी हैरान थे। धर्मसेना ने ‘संडे टाइम्स’ से बातचीत में कहा, ‘टीवी रीप्ले देखने के बाद लोगों के लिए टिप्पणियां करना आसान होता है। अब टीवी रीप्ले देखने के बाद मैं स्वीकार करता हूं कि फैसला करने में गलती हुई।’

‘टीवी देखने वालों के लिए टिप्पणी आसान’

धर्मसेना ने कहा, ‘लेकिन मैदान पर टीवी रीप्ले देखने की सहूलियत नहीं थी और मुझे अपने फैसले पर कभी मलाल नहीं होगा। साथ ही आईसीसी ने उस समय किए फैसले के लिए मेरी सराहना की है।’ कुमार धर्मसेना ने लेग अंपायर मराइस इरासमस से सलाह मशविरे के बाद इंग्लैंड के स्कोर में छह रन जोड़ने का फैसला किया था। इंग्लैंड को अंतिम तीन गेंद पर जीत के लिए नौ रन की दरकार थी और इसके बाद उसे दो गेंद में तीन रन चाहिए थे।

हम टीवी रीप्ले नहीं देख सकते थे: धर्मसेना        

धर्मसेना ने कहा कि नियमों के अनुसार इस घटना को लेकर तीसरे अंपायर से सलाह लेने का कोई प्रावधान नहीं था। उन्होंने कहा, ‘नियमों में इस मुद्दे को तीसरे अंपायर के पास भेजने का कोई प्रावधान नहीं था क्योंकि कोई आउट नहीं हुआ था। इसलिए मैंने संवाद प्रणाली के जरिए लेग अंपायर से सलाह ली जिसे सभी अन्य अंपायरों और मैच रैफरी ने सुना। वे टीवी रीप्ले नहीं देख सकते थे, उन सभी ने पुष्टि की कि बल्लेबाजों ने रन पूरा कर लिया है। इसके बाद मैंने अपना फैसला किया।’

Input : Hindustan

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