कोरोना से संक्रमित शवों को विद्युत शवदाह गृह में ही जलाना है। इसके लिए बांस घाट, गुलबी घाट और खजेकला घाट के विद्युत शवदाह गृह को दुरुस्त किया जा रहा हैं। अभी तक सिर्फ बांस घाट में संक्रमित शवों को जलाया जा रहा था। जिससे लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता था। लकड़ी पर संक्रमित शव को नहीं जलाना हैं। वहीं गरीब परिवार के ऐसे मृतक जो संक्रमित नहीं हैं उनके शवों को भी विद्युत शवदाह गृह में ही जलाना पड़ रहा है। इससे लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

बुधवार को बांस घाट पर एक ही विद्युत मशीन से संक्रमित शवों को जलाया गया। शाम सात बजे तक यहां 10 कोरोना की डेड बॉडी को जलाया गया। प्रत्येक डेड बॉडी को जलाने में एक से डेढ़ घंटे का समय लग रहा है। दूसरी मशीन को देर रात ठीक करने का नगर निगम ने दावा किया है। वहीं गुलबी घाट के विद्युत शवदाह गृह में भी संक्रमित शव को जलाने की प्रक्रिया बुधवार से शुरू कर दी गई।

गुलाबी घाट पर पहले दिन शाम पांच बजे तक आठ शवों को जलाया गया। अभी तक पूरा लोड बांस घाट पर ही था। बांस घाट पर 12 अप्रैल को 24 शव और 13 अप्रैल को 32 शव को जलाया गया। डेड बॉडी की लंबी कतार को देखते हुए नगर निगम और जिला प्रशासन ने 14 अप्रैल को गुलबी घाट की एक बंद पड़ी मशीन को चालू कर दिया है।

वहीं बांस घाट पर बंद पड़ी एक मशीन को देर शाम शुरू करने की बात कही गई है। गुरुवार से नगर निगम क्षेत्र में संक्रमित मरीजों के लिए चार विद्युत शवदाह गृह उपलब्ध हो जाएंगे। वहीं खजेकलां घाट की मशीन खराब पड़ी है। इसे गुरुवार तक बनाने की बात कही जा रही है।

Input: Live Hindustan

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