हंगरी का नागरिक विक्टर पिछले 55 दिनों से छपरा सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती है. विक्टर कोरोना जांच में निगेटिव पाया गया है और उसने 14 दिन के क्वारेंटाईन अवधि को भी पार कर लिया है लेकिन इसके बावजूद विक्टर हास्पिटल में अरेस्ट करके रखा गया है. विक्टर साइकिल से दार्जिलिंग स्थित अपने धर्मस्थल की यात्रा पर निकले थे लेकिन लॉकडाउन शुरु होने के बाद छपरा में इनको पकड़ लिया गया और आजतक ये अस्पताल में बंधक की तरह जिंदगी बसर कर रहे हैं.
विक्टर अस्पताल से मुक्ति के लिए अधिकारियों को कई पत्र भी लिख चुके है लेकिन इन पत्रों का कोई जबाब नहीं मिला. लॉकडाउन के नियमों में भी विक्टर को रोकने का कोई ठोस आधार नजर नहीं आ रहा. पूर्वी यूरोपीय देश हंगरी के निवासी विक्टर जीको धार्मिक पर्यटक हैं. वो 8 फरवरी को भारत आए थे. जिसके बाद उन्होंने पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश की यात्रा अपनी हाईटेक साइकिल से की.
सदर अस्पताल छपरा के 6 बेड वाले वार्ड में फिलहाल अकेले रह रहे विक्टर का लैपटॉप, मोबाइल, पासपोर्ट, नकद राशि, कपड़े अप्रैल माह में चोरी हो गए थे जिसके बाद छपरा पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए उनका सामान बरामद कर लिया लेकिन पासपोर्ट सुरक्षित नहीं बरामद कर सकी. विक्टर 1200 किलोमीटर साईकिल से यात्रा करने वाली दरभंगा की ज्योति को बधाई देते हुए सरकार से पूछ रहे हैं कि जब ज्योति साईकिल से स्टेट बार्डर क्रास करके आ सकती है तो उनके मूवमेंट को क्यों रोका जा रहा है.
भारत की यात्रा पर आए विक्टर दार्जिलिंग के लेबांग कार्ट रोड स्थित एलेक्ज़ेंडर सीसोमा डी कोरोस स्थित मकबरे पर जाना चाहते हैं. एलेक्ज़ेंडर सीसोमा तिब्बत भाषा और बौद्ध दर्शन के जानकार थे. वो एशियाटिक सोसायटी से भी जुड़े रहे. उन्होंने पहली तिब्बती-इंग्लिश डिक्शनरी लिखी थी और माना जाता है कि उन्हें 17 भाषाएं आती थीं. विक्टर अपनी इस यात्रा को रोकने से काफी नाराज है और अब सरकार के नाकारात्मक रवैये को देखते हुए विपक्षी पार्टी राजद से मदद की गुहार लगाई है.
राजद विधायक जितेंद्र राय के जरिए तेजस्वी यादव ने भी विक्टर से बात की है और मदद का भरोसा दिया है. इस बारे में पूछने पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ राम इकबाल प्रसाद का कहना है कि विक्टर के मामले में सरकार से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिला है. बहरहाल विक्टर की समस्या का कोई समाधान होता नजर नहीं आ रहा क्योंकि विक्टर को लेकर न तो सरकार और ना ही नहीं सरकार के गाइडलाइन से कोई स्पष्ट निर्देश है. विक्टर का कहना है लॉकडाउन में जब कहीं भी लोग इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं और सड़कों पर आम दिनों की तरह यातायात चल रहा है ऐसे में जब वो कोरोना टेस्ट को पार कर चुके हैं और नेगेटिव है तो उन्हें रोकने का क्या औचित्य है.
Input : News 18