नहाय खाय के साथ ही आस्था का महापर्व चैती छठ आज सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। नहाय खाय से शुरू हु्आ चार दिवसीय अनुष्ठान इस पर्व की आस्था एेसी दिखी कि व्रतियों ने अपने घर में ही जल का संचय कर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया। वहीं कुछ व्रती लॉकडाउन की सख्ती के बावजूद तालाब, नदियों में अर्घ्य देते दिखे।

छठ के तीसरे दिन सोमवार की शाम को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य दिया गया। कोरोना वायरस से लॉकडाउन को लेकर पूरे देश में बंदी का माहौल है, वहीं बिहार में भी प्रशासन ने लोगों को घर में रहकर ही छठ पूजा करने की अपील की, जिसके बाद ज्यादातर लोगों ने अपने घर में ही भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया और कोरोना से पूरी दुनिया को बचाने की प्रार्थना की।

रविवार को हुई खरना की पूजा

छठपूजा के दूसरे दिन व्रतियों ने खरना की पूजा की थी जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया था। रविवार की शाम में व्रतियों ने चावल-गुड़ की खीर, रोटी या पूड़ी बनाकर फल-फूल से विधिवत पूजा कर भगवान भास्कर को भोग अर्पित किया और फिर खुद प्रसाद ग्रहण किया।

लॉकडाउन के बावजूद नवादा और गया जिले में लोगों ने छठ पूजा से संबंधित सामग्रियों की जमकर खरीदारी की। फल-फूल और अन्य सामग्रियों की दुकानों पर खासी भीड़ देखी गई। कई दुकानों को प्रशासन ने बंद करा दिया था, इसके बावजूद लोग छठ पूजा की सामग्री बेचने और खरीदने के लिए लोग घर से निकल पड़े थे।

बक्सर जिले में छठ के लिए नदी, पोखर और नहरों के किनारे पूजा अर्चना पर पूर्णतः रोक लगा दी गई थी लोगोििं ने घर में ही पूजा संपन्न की। कोरोना को लेकर चल रहे लॉक डाउन और सोशल डिस्टेंस लागू होने पर छठ व्रतियों को काफी परेशानी हुई।

शनिवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ चैती छठ

शनिवार को व्रतियों ने स्नान कर विधिवत नहाय-खाय की पूजा की और घर पर ही कद्दू भात का प्रसाद बनाया। पूजा के बाद अपने सगे-संबंधियों के साथ व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया। नहाय-खाय के बाद खरना की पूजा की गई और फिर व्रतियों ने सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया और मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चैती छठ पूजा संपन्न हो गई।

साल में दो बार होती छठ महापर्व की पूजा

बता दें कि छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक अभी चैत्र माह में दूसरा कार्तिक माह में। बिहार में इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम और पूरी निष्ठा के साथ मनाया जाता है। चार दिनों के इस अनुष्ठान में सफाई और पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है।

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