कोरोना महामारी के इस दौर में हर कोई परेशान है। स्कूल लंबे समय से बंद है और पढ़ाई और फीस को लेकर अभिभावक परेशान हैं। स्कूलों के अपने तर्क हैं फीस को लेकर कई जगहों पर स्कूलों की ओर से ही राहत दी गई। पिछले साल कई राज्यों में फीस का मामला कोर्ट में पहुंचा। अलग – अलग राज्य सरकारों की ओर से फीस को लेकर आदेश दिए गए जिसको लेकर कहीं स्कूल प्रशासन तो कहीं अभिभाभवक ही कोर्ट पहुंचे। फीस का मामला देश की सर्वोच्च अदालत में पहुंच गया और अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश भी जारी कर दिए हैं।

कोरोना की पहली लहर में साल भर स्कूल बंद रहने के बाद मार्च में एक फिर खुले ही थे कि बंद करना पड़ा। कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद स्कूलों को फिर बंद करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार राजस्थान के शैक्षणिक सत्र 2020-21 स्कूल फीस के मसले पर सुनवाई हुई स्कूल प्रशासन और अभिभावकों को कोर्ट की ओर से कई निर्देश दिए गए। फीस को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो प्रमुख बातें कही गई उसमें –

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 36,000 गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को सोमवार को निर्देश दिया कि वे शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए छात्रों से सालाना 15 प्रतिशत कम फीस वसूल करें।

फीस का भुगतान न होने पर किसी भी छात्र को वर्चुअल या भौतिक रूप से कक्षा में शामिल होने से न रोका जाए और न ही उनका परिणाम रोका जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा जिसमें राजस्थान विद्यालय (शुल्क नियमन) कानून 2016 और स्कूलों में फीस तय करने से संबंधित कानून के तहत बनाए गए नियम की वैधता को दी गई चुनौती को खारिज कर दिया गया था।

शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए छात्रों या अभिभावकों द्वारा शुल्क का भुगतान छह बराबर किस्तों में किया जाएगा।

महामारी की वजह से लागू पूर्ण लॉकडाउन की वजह से एक अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसका व्यक्तियों, उद्यमों, उपक्रमों और राष्ट्र पर गंभीर असर पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि स्कूल अपने छात्रों को और छूट देना चाहें तो दे सकते हैं।

Input: NBT 

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