बिहार में कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए नीतीश सरकार की ओर से लिए गए नाइट कर्फ्यू के फैसले पर राजनीतिक गहमागहमी भी शुरू हो गई है। सरकार में पार्टनर बीजेपी की ओर से वीकेंड लॉकडाउन के आइडिया को नकारे जाने से नीतीश कुमार के प्रति विरोध के स्वर सामने आए हैं। कोरोना वायरस नियंत्रण को लेकर राज्यपाल की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद संजय जायसवाल ने वीकेंड लॉकडाउन लागू करने का सुझाव दिया था। इतना ही नहीं, बैठक के बाद संजय जायसवाल ने अपने इस आइडिया का जिक्र मीडिया में भी कर दिया था।

वहीं मुख्य विपक्षी दल आरजेडी किसी भी किस्म के लॉकडाउन के खिलाफ रही। क्राइसेस मैनेजमेंट टीम के साथ बैठक के बाद सीएम नीतीश ने राज्य में नाइट कर्फ्यू लगाने की घोषणा कर दी। यह बात बीजेपी को इतनी नागवार गुजरी कि बेहद सौम्य स्वभाव के माने जाने वाले संजय जायसवाल ने फेसबुक पोस्ट लिखकर इसपर आपत्ति जता दी। नई सरकार बनने के बाद यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी और जेडीयू के बीच असहमति के भाव दिखे हों।
संजय जायसवाल ने जताई आपत्ति तो कुशवाहा ने दिया जवाब

संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘आज बिहार सरकार ने बहुत सारे फैसले लिए हैं जो आज की परिस्थिति में बहुत अनिवार्य हैं। मैं कोई विशेषज्ञ तो नहीं हूं फिर भी सभी अच्छे निर्णयों में इस एक निर्णय को समझने में असमर्थ हूं कि रात का कर्फ्यू लगाने से करोना वायरस का प्रसार कैसे बंद होगा। अगर कोरोना वायरस के प्रसार को वाकई रोकना है तो हमें हर हालत में शुक्रवार शाम से सोमवार सुबह तक की बंदी करनी ही होगी। घरों में बंद इन 62 घंटों में लोगों को अपनी बीमारी का पता चल सकेगा और उनके बाहर नहीं निकलने के कारण बीमारी के प्रसार को रोकने में कुछ मदद अवश्य मिलेगी।’ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने आगे लिखा- ‘वैसे करोना प्रसार रोकने की महाराष्ट्र में सर्वोत्तम स्थिति यही रहती कि 4 दिन रोजगार और 3 दिन की बंदी। बिहार में अभी इसकी जरूरत नहीं है पर अगर हम हफ्ते में 2 दिन कड़ाई से कर्फ्यू नहीं लगा पाये तो हमारी स्थिति भी महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसी हो सकती है।’ संजय जायसवाल की आपत्ति पर कुशवाहा ने किया पलटवार करते हुए ट्वीट किया- ‘जायसवाल जी, अभी राजनीतिक बयानबाजी का वक्त नहीं है!’

पिछले साल विधानसभा चुनाव रिजल्ट आने के बाद बीजेपी की 74 सीटों के मुकाबले जेडीयू महज 43 सीटें जीतने में सफल रही। माना जाता है कि बीजेपी का स्टेट यूनिट नहीं चाहता था कि मुख्यमंत्री की कुर्सी जेडीयू के खाते में जाए, लेकिन बीजेपी के केंद्रीय नेताओं के हस्तक्षेप के बाद एनडीए गठबंधन ने नीतीश कुमार को एक बार फिर से मुख्यमंत्री पर बिठाया। यह बात खुद नीतीश कुमार पत्रकारों के सामने कबूल चुके हैं। अब कोरोना के बढ़ते खतरों के बीच महाराष्ट्र और दिल्ली की फैक्ट्रियों में काम काज रोक दिया गया है। इसके बाद पिछले साल की तरह एक बार फिर से मजदूरों का पलायन शुरू हो चुका है। ऐसे में पहले नीतीश कुमार ने जोर देकर बिहार के लोगों से अपील की कि वे जल्द से जल्द अपने राज्य लौट आएं।

वहीं मंगलवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने अपील की कि जो मजदूर जहां हैं वहीं रुकें। जुलाई 2017 में बीजेपी+जेडीयू का गठबंधन दोबारा से बनने के बाद से शायद ही कोई मौका होगा जब पीएम और सीएम के बयान में अंतर दिखा हो। यहां तक कि पिछले साल जब सभी राज्य बस और अन्य संसाधनों से अपने लोगों को अपने राज्य में बुला रहे थे तब नीतीश कुमार ने पीएम मोदी के संपूर्ण लॉकडाउन का हवाला देकर बिहारी लोगों के लिए संसाधन मुहैया कराने से इनकार कर दिया था।

डिप्युटी CM तारकिशोर प्रसाद भी छलका चुके हैं दर्द

इसी साल मार्च में डिप्युटी सीएम तारकिशोर प्रसाद बीजेपी महिला मोर्चा की दो दिवसीय प्रदेश कार्यसमिति के मंच पर पहुंचे थे। यहां उनका दर्द फूटा। तारकिशोर प्रसाद ने कहा था कि बिहार में चल रही एनडीए की सरकार में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है, लेकिन सरकार के कामकाज और नीतियों पर बीजेपी का असर अपेक्षा के अनुरूप नहीं दिख रहा है। तारकिशोर प्रसाद ने कहा था कि यह सच है कि बिहार सरकार के कार्यक्रमों में हम नहीं दिख रहे। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अब बिहार सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली में बीजेपी का असर दिखेगा। इसी दौरान जेडीयू के पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह ने भी आरोप लगाया था कि बीजेपी की वजह से जेडीयू को कम सीटें आई हैं। उन्होंने इस गठबंधन के भविष्य को लेकर चिंता जताई थी।

Input: NBT

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