सुबह-सुबह आपके यहां कूड़ा उठाव करने वाले कुछ दिनों से नहीं आ रहे। सड़कों पर कचरे बिखरे हुए हैं। साफ-सफाई की स्थिति खराब है।

यह सब इसलिए है क्योंकि

शहर की सफाई कार्य में लगे एक हजार से अधिक दैनिक मजदूरों को निगम ने सेवा से हटा दिया है। इस वजह से शहर की साफ-सफाई पूरी तरह से ठप हो गई है।

वार्डो में चल रहा डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का काम भी शनिवार को बंद हो गया। इससे स्वच्छता अभियान को झटका लगा है। 31 जनवरी के बाद दैनिक मजदूरों से काम नहीं लेने के सरकार के फरमान के बाद निगम प्रशासन ने उनको कार्य से मुक्त कर दिया है।

सरकार ने अब उनकी सेवा आउट सोर्सिग के माध्यम से लेने का निर्देश दिया था। सरकार द्वारा डेडलाइन दिए जाने के बाद भी निगम अब तक इस कार्य के लिए संस्था का चयन नहीं कर पाया। शुक्रवार को निजी संस्था के बहाली की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसमें एक माह समय लग सकता है। ऐसे में सफाई कार्य लंबे समय तक बाधित रहेगा जिससे शहर में नारकीय हालात पैदा हो जाएंगे। शनिवार को कूड़ा का उठाव नहीं होने से जगह-जगह कूड़ा डंप हो चला है।

निगम में इस समय मात्र दो सौ स्थायी सफाईकर्मी हैं। अब उनपर पूरे शहर की सफाई का जिम्मा है। लेकिन कर्मचारी संघ द्वारा आंदोलन के एलान के कारण वे भी सफाई कार्य नहीं कर पाएंगे। सफाई कार्य ठप होने से शहर की पांच लाख की आबादी को गंदगी के बीच रहना होगा।

इनपुट : दैनिक जागरण

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