पटना. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में लालू-नीतीश (Lalu-Nitish) की जोड़ी को जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई थी. इसके तीन साल बाद वर्ष 2018 में उन्होंने जेडीयू (JDU) से अपनी सियासी पारी का आगाज किया था. तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पीके को बिहार का भविष्य बताया था. अब उन्हीं नीतीश कुमार का रुख प्रशांत किशोर के लिए बदल गया और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. पार्टी से निकाले जाते वक्त पीके ने कहा था कि वो इस मसले पर 11 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही कुछ कहेंगे.
अब जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के रुझानों में आम आदमी पार्टी (AAP) जीत की ओर बढ़ती नजर आ रही है तो सवाल यही है कि क्या आज पीके कुछ खुलासा करेंगे? ऐसे में सवाल ये भी है कि सीएम नीतीश के करीबी रहे पीके क्या उनके कुछ राज भी खोल सकते हैं?
जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) से निकाले जाने के पहले तक पीके के ट्विटर अकाउंट को देखें तो बीते 13 दिन से उन्होंने एक भी ट्वीट नहीं किया है. 29 जनवरी को उन्होंने अपना आखिरी ट्वीट किया था जिसमें सीएम नीतीश कुमार को उन्होंने धन्यवाद देते हुए कहा था कि आप बिहार के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर बने रहें.
Thank you @NitishKumar. My best wishes to you to retain the chair of Chief Minister of Bihar. God bless you.🙏🏼
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) January 29, 2020
नीतीश से यूं बढ़ी PK की दूरी
बता दें कि प्रशांत किशोर जेडीयू नेताओं के निशाने पर खास तौर पर तब से आ गए, जब पिछले साल उन्होंने कहा था कि आरजेडी से गठबंधन तोड़ने के बाद नीतीश कुमार को नैतिक रूप से चुनाव में जाना चाहिए था न कि बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनानी चाहिए थी.
बीजेपी-जेडीयू के साथ आने का असर
पिछले दिनों बदले राजनीतिक समीकरण में जेडीयू के भीतर पीके के लिए असहज स्थिति बन पड़ी थी. हालांकि कई बार सीएम नीतीश कुमार ने पीके के बचाव में बातें कहीं. हाल में जब पीके ने ममता बनर्जी के लिए चुनावी रणनीति की कमान संभाली तो नीतीश ने कहा कि ये उनकी I-PAC कंपनी का काम है न कि पीके का.
जेडीयू नेताओं के निशाने पर आए PK
हालांकि इसके बाद पीके ने बीजेपी नेताओं को अपने निशाने पर लेना जारी रखा, जिससे बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में थोड़ी असहजता दिखने लगी. इसके साथ ही जेडीयू के भीतर भी पीके विरोधी गुट सक्रिय हो गया, जो बीजेपी-जेडीयू के सामंजस्य को ज्यादा जरूरी मानता था.
सुशील मोदी पर PK के हमले ने बढ़ाई तल्खी
पीके के बयानों ने तब और तल्खी बढ़ा दी जब उन्होंने डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी को सीधे निशाने पर लेना शुरू कर दिया. एक के बाद एक किए गए उनके कई ट्वीट ने बीजेपी-जेडीयू की मिलीजुली सरकार को असहज कर दिया. इसके बाद सीएम नीतीश ने आखिरी फैसला लिया और सरकार को प्रशांत किशोर से अधिक अहम माना और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
अब क्या करने वाले हैं PK?
बहरहाल पीके ने कहा था कि दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजे के बाद वो इसका खुलासा करेंगे कि वो आगे क्या करने वाले हैं. ऐसे में अब पीके की अगली रणनीति का सबको इंतजार है कि आखिर वो क्या करते हैं?
Input : News18