मीनापुर क्वारेंटाइन सेंटर घोटाला मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए दिए गए आदेश में कानूनी पेच फंस गया है। मामले में वित्तीय अनियमितता के आरोपी बीडीओ काे ही अपने खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया गया है। यानि, वह खुद ही वादी हाेंगे और खुद ही आराेपी। इस प्रशासनिक चूक काे कानून के जानकाराें ने न्याय संगत नहीं माना है।
दरअसल, वर्तमान बीडीओ ही घाेटाेले के वक्त मीनापुर में तैनात रहे हैं। मीनापुर विधायक राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव की शिकायत के बाद हुई प्रशासनिक जांच में घाेटाेले की पुष्टि हुई। विधायक ने चार कराेड़ रुपए का प्रखंड तथा पंचायत स्तर पर चलाए गए क्वारेंटाइन सेंटरों के संचालन के नाम पर हेराफेरी का आराेप लगाया था। इसे डीएम ने गंभीर मामला मानते हुए केस का आदेश दिया। पर, आदेश में चूक यह हाे गई कि तत्कालीन बीडीओ पर केस दर्ज कराने का आदेश बीडीओ काे दिया गया।
जबकि, वर्तमान बीडीओ ही मामले के आराेपी हैं। इस संदर्भ में डीएम प्रणव कुमार से जब पूछा गया ताे उन्हाेंने कहा कि यदि ऐसा हुआ है ताे आदेश में बदलाव करेंगे। साथ ही आराेपी बीडीओ के खिलाफ सख्त कार्रवाई हाेगी।
मामले का पर्दाफाश करने वाले राजद विधायक ने कहा- ऐसे तो आरोपी साफ बच जाएंगे
मीनापुर के राजद विधायक राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव ने प्रशासन की इस चूक पर कहा कि इस तरह तो आरोपी बीडीओ बेदाग बच जाएंगे। इस मामले में वे गुरुवार तक कार्रवाई हाेने का इंतजार करेंगे। इसके बाद भी अगर दोषी बीडीओ, सीओ, संबंधित कर्मचारी के साथ ही एजेंसियों पर भी प्राथमिकी दर्ज हाेने के साथ ही राशि की वसूली नहीं हुई ताे सीएम से मिलकर शिकायत करेंगे। विभागीय मंत्री से मिलकर मामले की जानकारी देंगे तथा जरूरत हुई ताे विधानसभा में मामले काे उठाएंगे। दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के साथ ही राशि की वसूली करने की मांग करेंगे।
फंसेंगे मीनापुर प्रखंड के कई कर्मचारी भी
मामले में कई प्रखंडकर्मी व आपूर्तिकर्ता पर भी स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज करा उसकी सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। डीएम के आदेश के 8 दिन बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है। हालांकि, इसी मामले में मीनापुर के सीओ पर विभागीय कार्रवाई चलाने के लिए उनके संबंध में वर्तमान सीओ ने पूरी जानकारी अपर समाहर्ता आपदा प्रबंधन काे भेज दी है।
ऐसे हुआ था घाेटाला
कोविड-19 संक्रमण काल में लॉकडाउन के दौरान मीनापुर प्रखंड में चलाए गए क्वारेंटाइन सेंटरों में महज 4200 प्रवासी श्रमिक ठहरे थे। पर, भुगतान के लिए 6700 श्रमिकाें के लिए व्यवस्था करने का बिल बना। राकेश टेंट हाउस के नाम पर 92 लाख रुपए का भुगतान दिखाया गया। जबकि, जांच टीम ने मीनापुर में इस नाम का काेई टेंट हाउस नहीं पाया। बीडीओ ने कथित रूप से विकास मद के 1 करोड़ 82 लाख रुपए बगैर अनुमति के डायवर्ट कर दिया था।
एक्सपर्ट व्यू: कानूनी रूप से यह गलत हाेगा कि आरोपी ही केस का वादी बने। यह न्याय संगत भी नहीं है। वादी प्रथम साक्षी हाेता है। ऐसा करने से अभियोजन पक्ष पूरी तरह से न्यायालय में कमजोर हाे जाएगा। प्रशासनिक स्तर पर यदि ऐसा काेई आदेश जारी हुआ है ताे वरीय अधिकारियों काे इसकी समीक्षा करनी चाहिए।
-डॉ. संगीता शाही, वरीय अधिवक्ता।
जानकारी के अभाव में हो गई है यह गड़बड़ी
तत्कालीन बीडीओ ही वर्तमान में मीनापुर में पदस्थापित है। इसकी जानकारी के बाद अब वर्तमान स्थिति काे देखते हुए न्यायोचित निर्देश दिया जाएगा। स्थिति का आकलन कर आदेश दिया जाएगा। प्रणव कुमार, डीएम
Source : Dainik Bhaskar