लोक आस्था का महापर्व छठ बिहार की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। हर क्षेत्र में रहने वाले बिहार के लोगों द्वारा आस्था का यह पर्व पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यही वजह है कि अब देश के अलावा विदेशों में भी महापर्व की धूम रहती है और महापर्व के प्रति आस्था के कारण अपनी मिट्टी से जुड़े इस त्योहार के प्रति लोगों का लगाव बढ़ता ही जा रहा है।

मान्यता के अनुसार महापर्व की शुरुआत अंग प्रदेश के मुंगेर स्थित गंगा तट से हुई थी। इसके साथ ही सूर्य पुत्र कर्ण की नगरी रही अंग प्रदेश में इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। बुजुर्गों की माने तो महिलाएं कर्ण की भांति यशस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए इस त्योहार को मनाती रही है। कुर्सेला निवासी साहित्यकार सह छठ के इतिहास पर वर्षों अध्ययन करने वाले भगवान प्रलय कहते हैं कि अंग प्रदेश में गंगा-कोसी का संगम हुआ है। इस क्षेत्र में इसकी विशेष महत्ता होने के कारण यहीं से इसकी शुरूआत हुई है। अंग प्रदेश की हर महिलाएं सूर्य पुत्र कर्ण की भांति संतान की कामना करती थी। यही वजह है कि सूर्य आराधना का महापर्व छठ का जुड़ाव इस क्षेत्र से रहा है। सीमांचल व कोसी में इसका प्रसार इसी संगम तट से हुआ है।

Input: Dainik Jagran

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